तुम्हारे सामने, पलकें भी जवाब देती है,
यकीं मानो, खूबसूरती की इंतिहा है।
मैने देखा है तुम्हारा महल भी बहुत ही आलीशान है,
अब लाऊं कैसे तुम्हें यहां टूटी-फूटी गालियां हैं।
सूखी है जमीं यहां, वहां भीगा पूरा आसमां है,
ये जो मेरी नज़रें, तुम्हरी आंखों पर फना है।
सुनो ना ज़रा,
ज़रा ठहरो ना,
तुम्हारी आंखों को अभी और लिखना है,
डूब जाऊं इनमें मै, मुझे नूर चखना है..
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