छोडी कहाँ वो रखकर तुमने हंसी
फिर औढी कभी क्यों नही
लिपिस्टिक के रंगो सी भी नही
कुछ अलग थी तुम्हारी वो हंसी
बताओ कहाँ है तुमने छोडी
माना यूँ तो जेब में मेरे नही हे फूटी कौड़ी
मगर फिर भी कोशिश है मेरी पूरी
लौटा दूंगा देखना तुम्हारी वो हंसी
उतनी भी महंगी है नही
बहुत सस्ती थी मेरी वो हंसी
इतनी सस्ती कि फिर बिक ही गई
अब तो लेती हूँ लिपिस्टिक का सहारा मै भी
मगर तुम अपना बताओ
इस भीड मे तुमने कैसे नोटिस कर ली
मेरी वो हंसी-
कुछ हवाओं में शोर है, तो कुछ फ़िज़ाओं में है मस्ती
इज़्ज़त खरीदी नहीं जा सकती चाहें मंहगी हो या सस्ती-
दिल की चोट बड़ी सस्ती है दोस्त,
हर कोई दे जाता है बिन माँगे मुफत मे ही..!!-
Kuch khwahishon ne hi bdha rkhe hain jeene ke daam
Varna zindagi to bht sasti h jnaab-
Zindagi Ko Itni Sasti Mat Bano Ki
Do Kodi Lok Khel Kar
Chale Jaye.-
Suniye sahab! Aaj bhi in sasti galiyan me, mehange khwaab panapte hai.
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Na koi apna na koi paraya dikhata hai
Samajdaar to sabse sikhata hai..
Badnasibi ke bahane thik hai,
Par Ab insan bhi kismat likhata hai.
Jarurate jadugari si puri hone lagate hai
Jab insan me zimedaari dikhata hai...
Sasti chije kharidi nhi gyi or jane kyu
Har chij mehnga bikata hai...-
कैसे दिखाऊं, अब ये बड़ी हस्ती, दिल के तूफान में डोलती वो बचपन की कश्ती।
कहां जाकर ढूंढू वो किलकारियां हस्ती, काश कोई लौटा जाए मुझे वो सस्ती - मस्ती।।
सुबह से साथ लेकर गर्मियों की वो शाम थी ढलती,
हवा भी हमारे साथ तब मंद मंद थी चलती।
देकर हमें "एयर बाथ" फिर खूब थी इतररती,
काश कोई लौटा जाए मुझे वो सस्ती - मस्ती।।-
आंसू इतने मंहगे कर दे कि किसी की आखों में आ ना सके
और हंसी इतनी सस्ती कर दे हर किसी के होंठो पर हरदम रह सके..-
kitni mahngi hai ye jindgi
kya karu koi sasti cheez
mujhe pasand bhi to nhi aati-