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फूल भरे उस अंगना में, जब फूल सी देह सजाई रे!
फूल भरी सेजा पर फूली, फूल फूल मुरझाई रे!
फूल भूल मन भूली, काँटा, भूल-फूल भर लाई रे!
फूल की गूल में सूल चुभी, तब याद भूल की आई रे!
अब मैं बेचारी क्या करती, सब फूल धूल बिखराई रे!
ओ री सखी तोहे कैसे बताऊँ, मोरे पिया बड़े हरजाई रे!
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