एस. कमलवंशी  
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Ink is my tea,
Quill is my toast
Paper is my table
I love this breakfast the most.
Joined 5 January 2018


Ink is my tea,
Quill is my toast
Paper is my table
I love this breakfast the most.
Joined 5 January 2018
6 SEP 2019 AT 20:25

मगर फ़ैसला बड़ा था
तुम थे बस एक कदम दूर
और मैं आंख मूंदे खड़ा था।

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नहीं पहनना चाहती ये चाहत की चूड़ियां
जब भी टूटेंगी, मुझे ही चुभेंगी।

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11 FEB 2019 AT 1:52

मिल जाए तुम्हें अगर 'रूह' कोई तो मत घबराना,
समझ लेना हमने जीते जी तुम्हें पाने की उम्मीद छोड़ दी है।

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10 FEB 2019 AT 18:59

"सोचती हूँ कि क्यों नहीं आती तेरी यादें मेरे ज़हन में अब,
लगता है तुमने यादों को भी नज़रअंदाज़ी का हुनर सिखा दिया है।"

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9 FEB 2019 AT 15:13

कुछ इस क़दर पुनर्जन्म के हम मेहमान हो गए
जब आए तुम तो जिंदा हुए, चले जाने पर बेजान हो गए।

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6 FEB 2019 AT 23:49

परिंदे थे हम दोनों ही मगर हमें दायरे का अहसास था,
'आकाश' था तुम्हारे लिए, हमारे लिए 'ऐ काश!' था।

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जलाना मत, दफ़ना देना मुझे मिट्टी में कि थोड़ी ठंडक मिले,
रक़ीबों के साथ देखकर तुम्हें, आज़तक जला ही तो हूँ।

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भले तू लाख गलतियाँ गिना मेरी,
मैं आज भी तुझसे किए प्यार को उनका 'अपवाद' मानती हूँ।

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काश! मेरी भूल जाने की आदत को तुम आदत ही रहने देते,
ऐसी आदत छुड़ाकर फिर हमें ही छोड़ जाना, अच्छी बात नहीं।

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28 JAN 2019 AT 23:28

" आँखें भी ये कमाल बड़ी
न जाने क्यों ये तरस रहीं
सावन को जलाया हिज़रा में
खिज़ा आने पर ये बरस रहीं "

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