virendra kumar   (वीरेंद्र कुमार कनपुरिया)
1.0k Followers · 299 Following

8130565916
Joined 16 April 2020


8130565916
Joined 16 April 2020
YESTERDAY AT 8:03

जीवन खिल ही जाता है
जो सफर को जारी रखता है
मंजिल को वो ही पाता है
इंसान सुख की ख्वाहिश में
न जाने कितने दर्द सह जाता है
जो रहता है परिश्रम की खान में
वही एक दिन हीरा बन जाता है।।

-


22 JUN AT 22:25

हकीकत जान कर भी क्यों ख्वाबों में आते हो
हमारे हो यही कहकर भला तुम क्यों सताते हो।।

-


22 JUN AT 22:21

ये कशमकश कैसी,
बाहर तो ठंडक है
फिर अंदर उमस कैसी,
दुनियां भर से दोस्ती
और खुद से बहस कैसी।।

-


18 JUN AT 23:10

पर हकीकत में अब वो चाहत नहीं है।।

-


18 JUN AT 20:18

दर्द भरी दुनियां से लफ्जों से न कह पाए
जख्म ऐसे आंसू भी न आंख में रह पाए।।

-


13 JUN AT 23:56

हम क्यों उनसे फरियाद करें
जो भी है पास वो अपना ही है
मेरी मर्जी है क्या रखें क्या बर्बाद करें।।

-


13 JUN AT 23:53

चमन में फूल खिलते हैं,
बहारें गुनगुनाती हैं
दिलों से दिल जब मिलते हैं,
यही है जिंदगी सबकी
जिन्हें खुशियों से जी डालें,
जहर भी आ गया है तो
हसीं से वो भी पी डालें।।

-


9 JUN AT 23:19

मां के आंचल में छिपकर के जीवन की खुशियां मिल जाएं
हाथ फेरते ही एक पल में सारे दुख से ओझल हो जाएं
प्यार भरी नजरों से देखे तो चेहरा भी खिल सा जाए
गोद में जाकर एक पल में ही नूर में रंगत मिल सी जाए,
एक मासूम के आहट से ही मां की सब दिक्कत खो जाए
जिसके होने से घर में घर की रौनक अधिक हो जाए।।

-


6 JUN AT 22:57

अपनों से उम्मीदें अक्सर धोखों से मिलवाती हैं
अक्सर कुछ कमियां जीने का सबब बन जाती हैं
किसी को अपना समझ के सब गैरों के हो जाते हैं
झूठे सपनों की चादर पर सच में जब सो जाते हैं
उसी समय सबके दिल में अपनापन सा जगता है
कोई अनजाना भी तब खुद से भी प्यारा लगता है
हस्ती खेलती दुनियां भी एक रोज कहीं सो जाती है
अपनों से उम्मीदें ही अक्सर जीवन को खा जाती हैं।।

-


5 JUN AT 21:58

ताकत कलम की देख कर झुकते सभी हैं सामने
अच्छे अच्छों को झुका रखा है किताबों के नाम ने,
जिसने कलम उठाई है इतिहास लिख गया है वो
शब्दों में ही हकीकत का अहसास लिख गया है वो ,
लेकर कलम को हाथ में हथियार बनाना अच्छा है
आजकल के दौर में हाथ में कलम का होना अच्छा है। ।

-


Fetching virendra kumar Quotes