virendra kumar   (वीरेंद्र)
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8130565916
Joined 16 April 2020


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24 APR AT 0:29

सुर्ख चेहरे की रंगत है जो मन को खींच लेती है,
बस यही सादगी ही है जो दिल को जीत लेती है,

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19 APR AT 12:56

आज को



सारे राज को

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2 APR AT 23:32

तू मेरी कस्ती का किनारा,
तू मुझमें ऐसे शामिल है
जैसे मुझमें अब सबकुछ तुम्हारा ।।

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23 MAR AT 15:05

यही सोच कर ही आज तो
खुल कर जी ले पागल इंसान।।

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19 MAR AT 20:14

तेरे जैसा ही गहरा हूं दिल से मुलाकात कर मुझसे,
अगर कुछ भी शिकायत है तो फिर सवालात कर मुझसे,
अरे कब तक खामोश रहेगा यूं खुद की कसमकस में
मैं खुद आया हूं सुनने तू बस बात कर मुझसे।।

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19 MAR AT 20:04

अपने आप को खोना पड़ता है
अपनी ही पहचान बनाने के लिए।।

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18 MAR AT 15:14

ना जाने कैसे मोड़ आते हैं,
साए साथ रहते हैं
पद चिह्न पीछे छूट जाते हैं।।

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13 MAR AT 22:47

वक्त इंसान के साथ चलता,
क्या होता अगर
इंसान वक्त के साथ चलता,
ये बस सब सोच सकते हैं
लेकिन इनको साथ कर नहीं सकते।।

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13 MAR AT 22:41

तुमको हमारा होने का हो जाए,
फिर तुम तुम नहीं रहोगे।।

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11 MAR AT 23:49

अहसास हो तुम कोई शब्द नहीं।।

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