QUOTES ON #SAFAR_JINDGI_KA

#safar_jindgi_ka quotes

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5 JUN 2021 AT 11:16

ये दिन भी ढल जाएगा,,ये जिंदगी भी गुजर जाएगा,,
ये जो वफा के उम्मीद में खड़े हो दोस्तों,,
यकीन मानो ,,इसकी मजिल कभी तुम्हें रास नहीं आयेगा
//long form in caption😌//

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25 FEB 2020 AT 9:54

Badi khubsurat sa rista hai hamara.
Na Jaan pehchan thi na koi mulakat thi,
Ye risto me kuch alag si baat thi..
Masum sa rista tha jo duniyase lad gayi...
Ye kesa rista tha na app ko pata tha,
Na mujhko koi khabar thi.
Lekin iss Tara se batt ban rehithi.
Dil machal raha tha jese baris me morni.
Janti hu kanto bhare raste bhi ayenge
Magar dosti ki hai hamne hum dosti nibhayenge..!!!



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17 SEP 2019 AT 14:46

कुछ सुनो..शायद ये सफ़र का अंत नहीं,
यकीं मानो..पर बस वक्त मुलाकातों का नहीं।

माफ करना..मिलेंगे फिर से कस़म ये अल्फाजों की रही,
सब्र रखना..होगी पूरी मुलाकात,नज्म,गुफ्तगू जो अधूरी रही।

Thanks yq & dear friends for your precious
love..🙏🙏🙏🌹🌹

Byee😈😈😈

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ना जाने कबसे हम इन कांटो भरे सफर में हैं
मंज़िल के करीब आकर, हम अब भी अधर में हैं

हर मुश्किल को मुसाफ़िर, हंस के पार करता है
बड़े गहरे तलुक्कात हैं मुश्किलों से, हम इनकी नज़र में हैं

बहुत मेहनत से बनाया था, जो गिर गया मकां मेरा
कमाल ये है मेरा कि हम अब भी सबर में हैं

जिसकी छांव के नीचे, था पड़ाव मुसाफ़िर का
सुना है सांप लिपटे हुए, अब उस शज़र में हैं

बहुत घिनौना है, वो जो चेहरा है सियासत का
उन्हें क्या पता "निहार", जो अरसों से कैद घर में हैं

सियासतदां से हमने जो कुछ पूछ लिये सवाल
इतना हंगामा बरपा है कि हम मशहूर पूरे शहर में हैं

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18 OCT 2020 AT 14:12

गहन अंधेरी पहर में
शून्य के नीचे
चित्त पड़ी हुयी
नीरस किन्तु आश्वस्त
पराजित सिंघनी-सी
टिमटिमाते तारों को ताकते हुए
कभी फफक कर
कभी सिसक कर
निर्झर-निर्झर बहते हुए
बिखरे कल को भूल
आज को समेटे
कल की खूबसूरती को
आशाओं की ढेर से सजाती हूं
मै अगले ही क्षण
खूब जोर से मुस्कुराती हूं ...!!

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12 OCT 2020 AT 8:40

सफ़र में बीती ज़िन्दगी सारी
मंज़िल की चाहत में नींद भी खो गयी।
पहुँचे हम जब तक मक़ाम पर अपने
थक कर यादों में हमारी कई रातें तक सो गयीं।।

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22 JUL 2020 AT 22:25

Kaisi ye majburi h ?
Yu pas hokr bhi kaisi ye duri h ?
Ye zruri to nhi , hr rah ki koi manzil ki ho ,
Kuch sfr khud me hi itne haseen hote h , jinki dastan kbhi puri nhi hoti ,
Manzil hi muqaddar hoti agr hr rah ki ?
To hr sfr itna haseen na hota .
Akhir kaisi ye majburi hai ?

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23 APR 2019 AT 19:43


Har Koi Apna Gum Chhupaye baitha Hai
Koi Khushi Me Muskurata Hai
To Koi, Haas ke Bhi Rota Hai...

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5 SEP 2020 AT 14:05

मनुष्य को अपनी जिज्ञासा स्वयं हीं शांत करनी पड़ती है...

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17 OCT 2020 AT 20:46

चल जिदंगी चले फिर उस रास्ते
जहाँ मिले वो हसी दास्‍ते....

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