जलियांवाला बाग की माटी को लाल किया था
उस दरिंदे ने मासूमों का बुरा हाल किया था
एक परवाने ने मिटा दी थी उसकी हस्ती ,
जिसने इंसानियत का ज़वाल किया था ।
सुनाम के उस शेर ने ऐसी सुनामी लाई थी
ब्रितानिया की नींद फिर पत्तों सी उड़ाई थी
दुश्मन के घर में भी जाकर लड़ी गई ,
जंग-ऐ-आज़ादी की जो मुकद्दस लड़ाई थी ।
ख़ून का बदला ख़ून हो बस उसका यही निज़ाम था
आसान उसको बना दिया जो बेहद मुशिकल काम था
जिंदगी को छोड़ मौत से कुड़माई कर ली उसने ,
भारत का वो लाल ऊधम सिंह जिसका नाम था ।
राजनीति के गलियारों ने बलिदानी को भुला दिया
सत्ता के नशे में चूर अपने ज़मीर को सुला दिया
राम मोहम्मद सिंह आज़ाद कहता था जो खुदको,
धर्म के ठेकेदारों ने उसकी रूह तक को रुला दिया ।
आज भी देशभक्तों के लहू में वही उबाल है
उस शहीद की शहादत एक जलती मशाल है
ज़िंदा है वो अब भी एक विचार की शक्ल में ,
खोजें उसको अपने भीतर ये 'साहिल'का ख़याल है ।
साहिल ॥
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