जैसे जैसे ज़िन्दगी में खसारा होता रहा
आँखों का पानी और खारा होता रहा।
इश्क में कुछ यूँ गिरफ़्तार हुआ दिल
उनका हर ग़म भी हमारा होता रहा।
कुछ बच्चे देखे जो निवालों को तरसते
पत्थरदिल शख्स भी पारा-पारा होता रहा।
लफ़्ज़ों ने तो लफ़्ज़ों से कोई बात नहीं की
आँखों ही आँखों में बस इशारा होता रहा।
वो शख्स जो अपने परिवार का सहरा था
ढलती उम्र के साथ ही बेसहारा होता रहा।
किसी का चाँद बनने की हसरत थी जिसको
वो तो अपनों की आँखों का तारा होता रहा।
ख़ूबसूरती बसी थी जिसकी नज़र में
हसीन उसके लिए हर नज़ारा होता रहा।
जिंदगी के सफ़र में उलझ गया इतना
'साहिल' का ख़ुद से किनारा होता रहा।
साहिल।।-
पूछते हैं सब की ये क्या हो रहा है
दर्द ही अब मेरी दवा हो रहा है।
बेखबर की मुस्तकबिल में क्या होगा
एक परिंदा पिंजरे से रिहा हो रहा है।
किसी की यादों में अब भटकने लगा है
धीरे-धीरे दिल ये लापता हो रहा है।
आज के दौर में सबको रोग ये कैसा लगा
ख़ुद का अहम ही ख़ुद से बड़ा हो रहा है।
वो हर दिन अपने ख्वाबों का क़त्ल करता है
एक मुफलिस से ये कैसा गुनाह हो रहा है।
कोई तो खुशी से अपनी ज़िंदगी बिता रहा
तो कोई किसी ग़म में मुब्तला हो रहा है।
लहू का दरिया बनती जा रही है ये दुनिया
जंग से आख़िर किसका भला हो रहा है।
इश्क में चोट खाया मैं अकेला नहीं हूँ
ऐसे और लोगों से भी राब्ता हो रहा है।
'साहिल' को तो अभी गज़लें कहनी हैं कई
हर दिन एक नया ज़ख्म अता हो रहा है।
साहिल।।
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ज़िन्दगी की तलाश में उससे जुदा हो गये
लोग अपनी ही सांसों से ख़फ़ा हो गये।
आग की लपटों में जल गई सैकड़ों उम्मीदें
जाने कितने अरमान बस धुँआ हो गये।
पते नये खोजने की फ़िराक में थे जो लोग
सब पूछते हैं कि वो कहाँ लापता हो गये।
जिनकी आवाज़ से गूँजती थी बज़्में
वही अब एक ख़ामोश सदा हो गये।
तब्बसुम खिला था जिन लबों पर कभी
वो आज बस दर्द के गवाह हो गये।
नसीब की कैसी ये तदबीर है देखो
मकीन नहीं मकान भी तबाह हो गये।
कहर के दरमयान भी जी गये जो
वो सब भी रब की रज़ा हो गये।
यकीन है मुझे की बदलेगा मंज़र
कई सवाल जब बाद-ए-सबा हो गये।
पूछता है 'साहिल' की सज़ा क्या होगी
जिससे भी अज़ीम गुनाह हो गये।
साहिल।।
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जो लम्बा था सफ़र वो मुकम्मल हो गया
कल जो खद्दर था आज मलमल हो गया।
बस स्याह था कल तलक जो किरदार
वही आज आँखों का काजल हो गया।
जाने कितने सर्प आज लिपट गये उससे
वो शख्स जो शजर-ए-संदल हो गया।
कल जिस ज़हन की कसमें खाई जाती थी
वही आज कुछ नज़रों में बेकल हो गया।
कल तक जहाँ एक फुलवारी लगी थी
वहीं आज एक गहरा दलदल हो गया।
जो कुछ सच बयान कर दिये मैंने
सबने कहा की 'साहिल' पागल हो गया।
साहिल।।-
कभी तो मेरा ख़याल भी रखो ना
आंसू देती हो तो रुमाल भी रखो ना।
आँखें जब सितारों की तर्जुमानी करती हैं
स्याह रात की मानिंद खुले बाल भी रखो ना।
शमशीर बाज़ी में तो माहिर हो तुम
हिफाज़त को मगर संग ढाल भी रखो ना।
वो फूल तो तुमने गुलदान में सजा लिया है
उसेके शाख से टूटने का मलाल भी रखो ना।
जो गर शातिर खिलाड़ी हो शतरंज के
तैयार अपनी अगली चाल भी रखो ना।
इम्तिहान लेने की जो आदत है तुम्हें
तो उसमें आसान सवाल भी रखो ना।
जिस लहू में अभी बस इश्क बहता है
देश के लिए उसमें उबाल भी रखो ना।
उरूज पर होकर जो ग़ुमान होता है 'साहिल'
तो ज़हन में कहीं दौर-ए-ज़वाल भी रखो ना।
साहिल।।
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एक मंज़िल ढूंढ ली है सफ़र के लिए
चल रहा निशान-ए-रहगुज़र के लिए।
ज़्यादा नहीं पर उतना तो कमा लेता हूँ
जितना ज़रूरी है गुज़र-बसर के लिए।
सुना है दुनिया की बहुत फ़िक्र है तुम्हें
अख़बार पढ़ता हूँ हर ख़बर के लिए।
इश्क तो आग का दरिया पार करना है
इसमें कोई जगह नहीं है डर के लिए।
इंसान के जाने पर आंसू बहाते हैं सभी
यहाँ कोई नहीं रोता किसी शजर के लिए।
जिस सहारे ने उनको बेसहारा छोड़ दिया
फ़िर भी वालदेन रोते हैं उस पिसर के लिए।
ईंट पत्थर ही इतने अज़ीज़ हो गये आज
खून के रिश्ते तोड़े गये एक घर के लिए।
एक मियाद मुकर्रर होती है हर रिश्ते की
कोई अपना नहीं होता उम्र भर के लिए।
नज़ारे बदलने की ताब होती है जिसमें
'साहिल' मुन्तज़िर है उसी नज़र के लिए।
साहिल।।
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जो झुकती पलकों का इशारा हो जाए
सच कहता हूँ साथ हमारा हो जाए।
अकेले तो कदम अब लड़खड़ाने लगे हैं
सोचता हूँ एक हसीन सहारा हो जाए।
वक़्त हो जो हक़ में किसी के अगर
ख़ाकसार भी चमकता सितारा हो जाए।
सड़को पर तो मौत फ़िरती है आज कल
जाने कब कौन अल्लाह को प्यारा हो जाए।
नाव में बैठ आंसू बहाए हैं उसने अभी
कौन जाने नदी का पानी खारा हो जाए।
रब से यही इल्तजा करता है 'साहिल'
गमों का अब उससे किनारा हो जाए।
साहिल।।
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खामोशी तोड़ मुँह में ज़बान आ गई
मुर्दा था जो दिल उसमे जान आ गई।
उस रोज़ तो आँखों पर यकीन ही ना हुआ
मेरे लबों पर भी हल्की सी मुस्कान आ गई।
जो बच्चा मुफलिसी के सितम से दो चार था
उसके रस्ते में ही खिलौनों की दुकान आ गई।
बदी पर नेकी की जिसमें जीत होती है
आख़िर अंजाम तक वही दास्तान आ गई।
उन लबों की खामोशी सिर्फ़ टूटी ही नहीं
उनको तो लगानी अब हर तान आ गई।
जब तितली के परों को नोचा किसी ने
तब इंसानियत हो ख़ुद से पेशेमान आ गई।
'साहिल' ये देख कर हैरत में पड़ गया
ये दुनिया अब अमन से परेशान आ गई।
साहिल।।
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यकीन नाज़ुक है इसे तोड़ा नहीं करते
बीच राह में हाथ हम छोड़ा नहीं करते।
जानते हैं की बहुत शातिर है ये दुनिया
दिल किसी से यूँ ही जोड़ा नहीं करते।
दोस्ती निभाने का हुनर आता है हमें
यारों से कभी भी मुँह मोड़ा नहीं करते।
अपनी मेहनत से मंज़िल पानी आती है
कभी दूसरों की राहों में रोड़ा नहीं करते।
जो अपना होगा वो तो मिल ही जाएगा
हम किसी के भी पीछे दौड़ा नहीं करते।
जब प्यार करते हैं तो इफ़रात में 'साहिल'
फ़िर किसी सूरत इसको थोड़ा नहीं करते।
साहिल।।
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दिन ये आज का यूँ ही गुज़र ना पायेगा
तेरा ख़याल ज़हन से उतर ना पायेगा।
जन्मदिन है तुम्हारा चलो दुआ दे दूँ
और कुछ तो ये दिल कर ना पायेगा।
इश्क के सागर में डूबा जो एक बार
फ़िर वो इससे कभी उबर ना पायेगा।
रीता हुआ है जो मन जाने से तुम्हारे
शायद चाहत से फ़िर भर ना पायेगा।
बड़ी तरतीब से बेतरतीब हुआ है जो
वो शख्स तो अब कभी संवर ना पायेगा।
सूनेपन से जो ये आँखें पथरा गई हैं
अब तो नीर भी इनसे झर ना पायेगा।
जीवन की घड़ी का काँटा जो टूट गया है
किसी घड़ीसाज़ से अब सुधर ना पायेगा।
इस जिस्म ने तो एक रोज़ मर जाना है
समर्पण का एहसास पर मर ना पायेगा।
जो दिल में आये वही उपहार मांग लेना
'साहिल' ख़्वाब में भी मुकर ना पायेगा।
साहिल।।
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