है इसलिए तो लोग
अपने होकर भी अपने
जैसे नहीं लगते ...
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आया ना करो
कितनी दफा मिले
ये बताया ना करो
सुना है
लोग दुश्मन है प्यार के
यूं खुले आम इश्क़
जताया ना करो-
जिसे ढूंढे हैं सब चारों ओर,
ये मिलती नहीं आसानी से।
क्योंकि सबने निकाला खुद,
इसे अपनी जिन्दगानी से।
पैसे कमाने की होड़ में,
सब ऐसे जुट गए।
अपने मन की शांति को,
वो खुद ही खोते गए।
अब जब शांति ही नहीं रही,
उनके मन में तो कहाँ से आएगा,
सुकून उनकी जिन्दगानी में।
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कुछ शरारती बातें,
बचपन की याद दिलाती है।
रोते हुए चेहरे पे,
पल भर में हँसी ले आती है।
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जय गौरी जय मातु भवानी ।
करहुँ कृपा मो पर महारानी
कबहु सती कबहु गौरि बखानी।
हर जनम में शिवपटरानी
त्यागें भोग सब खाये पर्णा।
करी तपस्या तब भई अपर्णा
शिव मिलन कीन्ह तप भारी।
तुम पर तब रीझे त्रिपुरारी
जय गननायक स्कंद की जननी।
महिमा अमित जाय नहीं बरनी
हे बरदायनी हे पुरारि पियारी।
करहुँ दया अपराध बिसारी
तुम सम दानी न देखा दूजा।
आय करी जब सिय ने पूजा
भई प्रसन्न गिरिराजकुमारी।
पाए राम तब जनकदुलारी
इतनी कृपा मातु अब कीजै।
एक बार निहारि अब लीजै
मन की व्यथा जाय नहिं बरनी।
राखौं लाज प्रीत की जननी
Dhra_singh
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बेटियां तो जैसे खजाना होती हैं
अपनों की खुशी के लिए
खुद की खुशी कुर्बान कर देती है-