कालो के काल मै महाकाल की वैरांगीनी...
तुम ही मेरे शिव शंभु मै महादेव की अर्धांगिनी...
(ॐ नमोः भगवते रूद्राये🙏🏻)-
Where duality ends and reality begins
Soul unveils its eternal cosmos
Is the state of Shiva consciousness.-
मैं ओंकार हूँ
भय को भी भयभीत करे
भूत पिशाच के निकट रहे
अन्यायी के लिए प्रतिकार हूँ
मैं ओंकार हूँ
मैं ही माया,मैं ही प्रपंच
मैं ही जीव,मैं ही जगत
ब्रम्ह का साक्षात्कार हूँ
मैं ओंकार हूँ
कण से भी सूक्ष्म
हिमालय से भी विशाल
मैं निरपेक्ष हूँ मैं निर्विकार हूँ
मैं ओंकार हूँ
कमल से भी कोमल
चट्टान से भी कठोर
सृष्टि के लिए महाकाल हूँ
मैं ओंकार हूँ
मैं रुद्र हूँ ,मैं ही विभोर
श्मशान का मैं अघोर
दुष्टों के लिए हाहाकार हूँ
मैं ओंकार हूँ
पाताल से ब्रम्हाण्ड तक
आदि हूँ ,अनन्त भी
चराचर सृष्टि का रचनाकार हूँ
मैं ओंकार हूँ-
साथ जिनके भुजंग,हाथ मे है मृदंग,
शीश पर जिनके गंग, वो मेरे त्रिपुरारी है,
नीला जिनका है कंठ,नंदी जिनके है संग,
वो ही दिगम्बर,वो ही बाघम्भरधारी है,
भक्त जिनके है हम,चढी जिनकी उमंग,
कभी भोले है वो,कभी वो ही भंडारी है,
नाश करते वो दम्भ,प्यारा जिनको है भंग,
वो ही पशुपति है,और वो ही शशिधारी है,
है वो ही रूद्र,और वो ही अभयंकर है,
वो ही शूलपाणि,वो ही शिव शंकर है।-
नाम सुमिरन करने से
भूत पिशाच भागते हैं
दुश्मन भी अपनी
बगलों में झांकते हैं
श्री राम के वो भक्त हैं
शरीर से सशक्त हैं
सिंदूर में रंगदार हैं
रुद्र का वो रूप हैं
शिवजी के अवतार हैं
सभी के संकटहरण
आये पवनपुत्र हनुमान हैं
कष्ट कटन, हरन सब पीरा
आये हैं मेरे हनुमत बलबीरा-