Ethics in journalism must be questioned and stringent actions to be taken against the various section of western and Indian media, who revered the top militant “Riyaz Niako”. As the glorification of the terrorist will lead to further revenge attacks and brainwashing of young impressionable youth. Furthermore, a concerted effort to gain peace and security in that region will be in vain.
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| The unknown martyr |
آیگا کب یہ تو بتاکے نہیں گیا۔
مج سے تو ہاتھ تک ملاکے نہیں گیا۔
ہمیشہ رہیگی یہی حصرت۔
کیسا اجیب تھا۔
رخصت ہوا تو.
چہرہ دیکھا کے نہیں گیا۔-
मीडिया अजीब प्राणी है। ना किसी का सगा, ना पराया। इनकी विचारधारा, जिस पर इनकी आजीविका चलती है, वह भी कम टेढ़ी नही है। एक गुट दूजे को काटता है और दूजा पहले को। पेट पापी है। सब करवा देता है।
बीते दिनों में हंदवाड़ा में घटित आतंकी हमलों में लगभग आठ जवान वीरगति को प्राप्त हुए। इनमें सभी के नाम मुझे ज्ञात नही है।
इनके विपरीत, एक मारे गए आतंकवादी के गणित अध्यापक से एक भटके नौजवान की यात्रा की पूरी कहानी मीडिया ने लिख डाली है। सवाल है, किसे फर्क पड़ता है कि वह आतंकवादी बनने से पहले क्या था? अनुभव ज्यादा नही है, परन्तु कोई व्यवसाय इतना नीच और असन्तोषजनक नही है जो मनुष्य को आतंकवादी बना दे।
एक आतंकवादी की मौत अज्ञात और आँकड़े से अधिक नही होनी चाहिए। उसका नाम, परिचय आदि लिखकर यदि आप अपने लिखे समाचार की शब्द-सीमा पूर्ण करते है, तब आपको आत्म-मंथन, और चरम चरणों में, व्यवसाय बदलने की आवश्यकता है।-
हे राम, कृष्ण भारत के जागो,
संहार करो अवरुध्दों का!
धरती माँ से बोझ हटा दो,
नाजायज़ इन कुत्तों का!!
धर्म अलग है जाति अलग ,
पर इनसे देश बचाना है!
जहां राम रहीम बटें ना हो,
हमें वो हिंदुस्तान बनाना है!-
Ye jo public 5 shaheed soldiers se zyada Riyaj Naikoo ka nam janti hai na bas yahi tumhara secularism aur free media hai.
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