इस जीवन म्ह,
जो मिला,
जितना मिला,
उस खातर धन्यवाद।
जो ना मिला,
उस खातर धन्यवाद।
(कैप्शन)-
Rohtak, Haryana.
मनै जीत लेणी दुनिया,
गैल्या मन अपणा भी,
फेर भी, इस गाम खातर,
इन लोगां खातर,
मैं वो ही रहणा,
मेरी हरेक चीज,
वही पै आ कै रुकनी।
(कैप्शन)-
भगवान कहूँ, या प्यारी प्रेमिका कहूँ,
तू ही बता, तनै किन विचार म्ह कहूँ।
प्रेम तो घणा आसान सै निभाणा,
मखा कद लग इसी भरम म्ह रहूँ।
तनै शायद बेरा ना जीवन की कमियां का,
मैं आधी रोटियाँ म्ह पूरी का सब्र करूँ।
आंख्या का कह्या, एक पवित्र रिश्ता सै,
कुछ नाम धर कै, क्यूँकर गुमनाम करूँ।
बीत जाणे दिन, कुछ नु जीवन अपणे भी,
और तो जद लग मेल आली उम्मीद म्ह रहूँ।
एक-तरफ का सै, जे कव्है जो प्रेम मेरा सै,
'यष्क' सुधरा सै भतेरा, जे सच कहूं।-
मनै सदा चाहे माणस अनेक।
प्रियतमा, मनै सदा इस रोल म्ह चाहे माणस अनेक,
किसी के गौरे रंग पै रुका रह्या,
किसी की बातां नै मोह लिया,
किसी के जीवन तै सबक लिया,
किसी की सुन्दरता नै गीत दिया,
प्रियतमा, प्रेमिका, सखी, सहेली,
इस एक दायरे म्ह मनै माणस अनेक चाहे,
वो बात अलग कि, उन नै बेरा भी कोन्या मेरा,
गुण था, किमी जिद्द थी मेरी, मनै वे चाही।
(कैप्शन)-
वे गीत जो लिखे ना गए,
वे माणस जिन का मैं बुरा बण्या,
वे जगह, जो केवल मेरे वजूद तै
बेकार हुई, नापाक हुई,
सब का बुरा, सब का भेदी,
मैं सब तै क्षमा चाहूँ सूं।
(कैप्शन)-
ओढ़ राखे घणी चादर ज्यूँ ये पाखण्ड जो,
मनै लागै सै, मनै कुछ और ही बणा देवैंगे।
जे जीवित रह्या, तो किमी बेडौल, भद्दे मन आला,
अर पूरा होया, तो किसी नै याद ही ना आण देवैंगे।
समय लाग्या करै, गैल्या दुनिया की माया भी,
लील ले जावै सै, उस मासूमियत नै,
जो सुच्चे माणस की पिछाण होवै सै।
यकर देवै स्याह काला, बणा देवै भूखा, ये मन नै,
उल्टी बात, फरेब, झूठ, सब कुभद का जाला।
इन तै उभरण नै, मैं कहूँ भरम टूटणे जरूरी सै,
कि धरती की कठोरता का ध्यान सदा ही रव्है,
विचार ऊँचे ही जँचे, कदम धरती पै ही जँचे,
कि 'यष्क', और तो है ही के इस मेळे म्ह।-
के बातां के राह तै दिल लग पहुँचा जावै सै?
कोई ना बतावै सै, सब चुप पावै सै।
पहली बारी म्ह ही, जद बात शुरू भी हुई ना थी,
तनै कह दिया था, कि प्रेम ना करणा।
मैं एकलेपण म्ह घुट कै जीया करदा उस समय,
मेरै कनै भी, बता, कुणसा ही तो विकल्प रह्या।
आज, जद, बातां नै मिहणे 6-7 होते आवै सै,
शुक्र मनाऊँ मैं थारा, उस भगवान का,
थारी मेहर तै मन नै हौंसले बांध राखै सै।
बात प्रेम की कोन्या, केवल उस सादे विचार की, आदर की सै,
थारी खातर जो दिनोदिन बढ़ता ही जावै सै।
मानिए सच, मैं झुठ ना बोल सकता,
'यष्क' नै तो उल्हाने भी देणे ना आवै सै।-
मैं याद किया करूँ उन दिन नै,
जब मैं अपणे माटी के घर म्ह बैठ के,
जिसकी दरार म्ह तै कदे पाणी, कड़े रोशनी आवै थी,
अर मैं सोच्या करता,
अपने बीच के फरक की,
कि तू मनै कदे मिल भी पावैगी,
जिन कमियाँ नै तोड़ राख्या मन मेरा,
के तू उन नै कड़े ताड़ भी पावैगी।
(कैप्शन)-
नाम अनगिनत, चेहरे भी उतने,
जिन गैल्या मैं इब लग प्रेम बुनता आया,
बीत लिए दिन, गैल्या वे विचार भी,
एकलेपण म्ह तो साया भी कोन्या पाया।
फेर नु भी सोचूं, कि कहूँ प्रेम ही,
या फरमान मेरे दिल स्वार्थी के,
मुरझाई लिखत म्ह कहीं कोन्या वो गूंज,
जे कोई मेरा नाम बोलता मनै ढूंढण आया।-
मनै मिला कर जद मन टूट जावै सै,
मिला कर, जद संगीत मुक जावै सै,
जद जहाँ सारा मेरी गलतियाँ नै क्षमा करै,
जद, हवा म्ह सुगंध पतझड़ की मिल जावै सै।
मनै मिला कर अमावस की रातां नै,
जद मन क्लेश अर देह बोझ तले रेत ज्यूँ बिखर जावै सै,
जद पेड़ बसते पंछियां का चहचहाना भूल जावै सै,
जद यादां नै मन भुलन लग जावै सै।
मनै मिलिए नु ना कि मनै कंधे की जरूरत सै,
मिलिए क्योंकि बीतगी जो उम्र सै,
उस म्ह देखणा कि मैं ही एकला होया कडुआ,
या फेर दुनिया ही है जो मनै बुरा बतावै सै।
'यष्क' कव्हे, मिलिए जरूर अंत म्ह,
कि तू ही तो है प्यारी, जो सच बतावै सै।-