जे मैं कहता,
तो नु कहता,
आधा आप नै करणा,
आधे नै मैं कर लूं।
अर जे किसे दिन,
एक खातर घणा होवै,
तो उस दिन,
दूसरा किमी घणा करैगा।
(Caption)-
Rohtak, Haryana.
तेरी मेरी के चक्कर म्ह,
मखा अपणा के ही रह्या?
तनै ले लिए रास्ते अपणे,
मनै भी किनारे हो
सब किमी देख लिया।
(कैप्शन)-
जद सुण्या तेरे ब्याह बारे,
माना तेरी खातर वो बण्या,
अर मनै सोच्या,
मेरी खातर कुण सै?
(कैप्शन)-
ना कोई बोल्या,
ना बुलाया,
एक समय बाद
मैं घर नै मुड़ आया।
घर,
जित हर कुणे म्ह चुप्पी सै।
इत आए भी,
के-कुछ ही बदलाव पाया?
(कैप्शन)-
बस दो-चार बातें हुईं,
और मैं दिल दे बैठा।
एक,
तुम्हे देख लेना।
जैसे कोई नीम का पेड़,
घर लौटते समय दिख जाए।
(कैप्शन)-
मैं तुम पर रुक गया हूँ।
समय नही रुका, केवल मैं।
यह पहली बार नहीं है।
इससे पहले भी,
बहुत बार लगा है,
तुम ही हो।
कभी काम को जाते,
कभी अमलतास के पीले फूलों में,
कभी सवेरे इस्त्री करते हुए,
तुम लगती हो।
-कैप्शन-
कहणा आसान कोन्या,
फेर भी कहूँ,
मैं बार-बार वहीं जाऊँ सूँ,
जित एक बार भी ना जाणा था।
मखा मन म्ह घाव पुराणे,
इब घाव कम,
आदत घणी लागै सै।
कि मैं फेर उन्हीं गलियां म्ह जाऊँ सूँ,
धीरे-धीरे।
(Caption)-
घणे दिना तै,
आप याद ना आयी।
नया शहर सै,
दिन नु ही काट ज्यावै सै।
काम इतना घणा सै,
सब किमी भुल्या जाऊँ सूँ।
तनै याद करणा भी।
मैं उठा करूँ,
कदे जल्दी, कदे देर तै।
कदे-कदे घणी रात लग भी नींद ना आवै सै।
(कैप्शन)-
मेरे कनै दुख कोन्या।
वे तो चुपचाप आवै सै,
अर सिर काँधे पै बैठ जावे सै।
इब तो प्रेम भी कोन्या,
ना इस नै निभा लेण जोगी सांस।
मैं किराएदार हूँ।
कदे इस शहर,
कदे नदी पार,
हरेक किवाड़ नै खड़काण तै पहलां,
नु ही सोच्या करूँ,
इस घर म्ह चाय मिलणी,
या चुप्पी।
मैं जद सोया करूँ,
तो उस गाम के सुपणे देख्या करूँ,
जित मनै जन नाम तै जानै सै,
कदे-कदे हालचाल बूझ लिया करै।
जणु खाट की रस्सियां म्ह तै झाँकदे दिन तै,
मनै बस दो सांस चाहिए।
जद मैं चैन तै लिखूं,
नु सोची बिना कि कल नै जाणा भी सै।-
इस जीवन म्ह,
जो मिला,
जितना मिला,
उस खातर धन्यवाद।
जो ना मिला,
उस खातर धन्यवाद।
(कैप्शन)-