Rahul Mishra "Atharv✅   (Rahul Mishra)
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Joined 18 March 2017


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Joined 18 March 2017

विघ्न मिलेंगे कदम कदम पर,
जो सपनों को भटकाएंगे!
जीवन चौसर की क्रीड़ा है ,
अनगिनत दुशासन आएगें !

इस बात पे इतना रोना क्यूँ,
दुर्भाग्य चीर को खींच रहा है !
ग़र मिली विवशता हिस्से में
तो पक्ष में कृष्ण भी आयेंगे!!

©Rahul Mishra

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बीते दौर का सिलसिला थमा
और कमाल हो गया!
ख़ुद से मुलाक़ात की ख़्वाहिश में,
और एक साल हो गया!!
❤️🎉❤️🎉❤️
©Rahul Mishra -

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20 OCT 2024 AT 20:48

हुस्न पे अपने यूँ रुआब ना कर,
मेरे महबूब को यूँ बेताब ना कर !
तेरे दीदार को तरस जाए इश्क़ मेरा
इतना भी ग़ुरूर, ऐ माहताब ना कर!!


©Rahul Mishra

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9 JUN 2022 AT 18:00

हमारे क़त्ल में शामिल,
कई पर्दानशीं भी हैं!
ज़रा देखूँ तो चिलमन में,
अभी हथियार कितने हैं!!
कई मुद्दत तुम्हारी आँख,
ने धोखे से लूटा है!
न जाने महफ़िलों में अब ,
बचे फ़नकार कितने हैं!!

Part - 9

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9 JUN 2022 AT 17:32

मेरी जगी हुई आँखों का, ख़्वाब हो,
या ज़मीं पे चलता, माहताब हो!
कैसे लिखूँ तुम्हें हर्फ़ों में, पता नहीं,
पर लोग बताते हैं कि , लाजवाब हो!!

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26 MAY 2022 AT 13:52

कोई जो रूह तक नोंचे
तो एक आवाज़ दे देना,
नज़र करना तह-ए-दिल में ,
लगे कुल वार कितने हैं!!
लगे जब जिस्म की बोली
शराफत के बज़ारों में,
तो करना ग़ौर उस सफ़ में,
कि साहूकार कितने हैं!!

Part - 8

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25 MAY 2022 AT 14:27

ज़िंदगी के राज़ बहुत हैं,
पर कोई बताता भी नहीं है,
दूर तलक साथ कोई,
अब निभाता भी नहीं है!
किसी से रूठना भी दोस्त ,
तो बस इतना याद रखना!
जब तन्हाई में घुटन होती है,
तो कोई मनाता भी नहीं है!!

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22 MAY 2022 AT 8:41

जो ग़र हो हौसला तो फ़िर,
ज़माना सर झुकाएगा,
तू कर कोशिश महज़ अपनी,
फलक कदमों में आएगा!

जो विपदाओं में भी,
साहस लिए आकाश चढ़ते है
वही इस काल के मस्तक पे,
नव इतिहास गढ़ते हैं

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10 MAY 2022 AT 21:19

भीड़-भाड़ की ज़िंदगी में,
बिना मोल बिक रहे हैं!
बनावटी नकाबों में छिपे ,
चहरे उदास दिख रहे हैं!
गज़ब की अमीरियत देखी है ,
इंसानी बस्तियों में आजकल!
चंद खुशियों की किश्त भरने में,
कतरा-ए-ज़िंदगी लिख रहे हैं!!

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25 MAR 2022 AT 23:44

मोहब्बत का खसारा कर, चलो ,
ज़िंदगी से कुछ पल उधार लेते हैं!
एक उम्र ख़र्च हुई है फिराक-ए-इश्क़ में,
बची हुई ज़िंदगी को , अकेले गुज़ार लेते हैं!!

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