आजकल के नौजवान,
लंबी गाड़ी में होते है सवार,
जो सिलाई कराए खुली कमीज़,
बदन से चिपकी,
पतलून कि तो तुम हालत मत पुछवाओ,
ऑनलाइन शॉपिंग से नए नए फोनो की,
ये रसीद कटवाए,
पर बाप की टूटी कमर देखे इन्हे लाज ना आए,
गोगल लगा के सब्जी का थैला पकड़ने को ये शर्मसार हो जाते,
क्योंकि इनके मुताबित इनका ओहदा जो कम हो जाता,
पर हाथ बंटाने में नहीं ये कभी तैयार होते,
बर्तन भी बिस्तर पर ही खाके यूं फेंके जाते,
जैसे शहज़ादो के स्वयं ताज है पहनते,
ज़ुबान लड़ाने में जो हरदम तैयार है रहते।।
- पूजा गौतम
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