-
किसी को खोने का डर
उसके वजूद का अहसास कराता है
जाना ही होता है तो कोई पास क्यों आता है
क्या मुझको खुशी पाने का हक नहीं
क्या मेरे हाथों में खुशी की वो रेखा नहीं
रात जब गहराती है
एक अन्धकार छोड़ जाती है
सब कुछ धुंधला नजर आए
ये गम की बदली जब छाती है
क्या कोई इस पूरी दुनियां में मेरा नहीं
क्या मुझको खुशी पाने का कोई हक नहीं
सच कहूं तो अब जिंदगी से कोई गिला नहीं
मेरा दर्द जो समझ सके ऐसा कोई अब तक तो मिला नहीं
सफर लंबा अब जिंदगी का बचा नहीं
आज भी उम्मीद है उम्मीद का दामन छूटा नहीं
क्या मेरे हाथों में प्यार की रेखा नहीं
किसी ज्योतिष ने मेरा हाथ आज तक देखा नहीं-
Regardless of the dark chapters
I read about me,
I didn't let someone write
on the pages that were
once left blank-untouched.-
वो इसकदर मोहब्बत की खाई में डूबा हुआ था,
साहिल पर बैठकर. गहराई में डूबा हुआ था ,
वो शायर मोहब्बत पर आख़िर क्या लिखता ,,
जो किसी की जुदाई में डूबा हुआ था ,,
मुझे क्या पता मस्जिद में तूने मुझे देखा ,,
मैं तो खुदा से तेरे लिए दुहाई में डूबा हुआ था ,,
मेरे मां बाप के खाब अधूरे ही रह गए ,,
मै तो शहर की कमाई में डूबा हुआ था ,,
मेरी बहन के आंखों से आंसू छलका ,,
बा शिद्दत उसकी सगाई में डूबा हुआ था ,,
मैं नापाक उसकी कतल की कोशिश में था ,,
जो मिरी खेरियत की दुहाई में डूबा हुआ था,,
-
जिंदगी की ज्याती से मुलाक़ात हुई ,,,,,
मेरी किसी मोड़ पर ,,,,,,,
पर में गया नहीं ,,,,,
मेदान ए जंग छोड़कर,
थक गया मै मगर ,,,,,,
मरुगा पर न अभी ,,,,,
अभी तो मुझे नई मंजिलों की फत्ते का ,,,
आगाज़ करना है ,,,,,,
प्यासा परिंदा हूं मै ,,,,
मुझे फिर से निर की निहार में परवाज़ भरना है ,,,,,-
कुछ अच्छी बुरी बीती हुई जिंदगी
वक़्त के साथ साथ
समझोता कर ही लेती हैं-