Panacea Sahil   (Penacea Sahil A.)
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Joined 3 December 2017


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9 FEB AT 9:52

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24 JUN 2024 AT 4:10

तू मेरे कुछ
सच माफ करना।
ठीक वैसे ही..
जैसे मैं तेरे सब
झूठ माफ करती रही।

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4 APR 2024 AT 7:09

काश प्यार किसी नींद लाती उबासी सा होता।
के जिसको नेक नीयत से देख लो,
उससे भी बदले में..
प्यार दोहराए बगैर न रह जाए।।

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10 JAN 2024 AT 9:14

तो क्या हुआ जो ग्रहण में हूँ।
अखिर हूँ तो तेरा चाँद ही।।

दो-पाँच रातें तू मीच ले आँखें..
ब्रह्माण का काला टीका ओढ़े,
एक-एक रात तेरा दीदार करने आऊँगा।।

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3 OCT 2023 AT 18:31

तेरी खाल से रिसता - गुज़रता है,
तो तुझसी सुगंधित भाषा बोलता है..
तेरा पसीना भी ऐ गुलबदन,
यह जोहरी सोने चांदी में टटोलता है।।

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30 AUG 2023 AT 7:57

ज़हनसीब पाती हूँ खुद को..
अपने उभरते सूरज को,
काम से लौटने पर शांत लाल सा पा कर।

तेरी थकान से भरी सूरत मुझे ढलते
उस लाल सूरज की याद दिलाती।।

ज़हनसीब पाती हूँ खुद को..
शाम की तेरी धीमी सी धूप की किरन जब मुझे,
बीती रात के उस दागी चाँद की यादों से
मीलों दूर ले जाती।

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9 AUG 2023 AT 20:52

कहने लगी..
मांगी हजार दुआओं में से फिसल गुज़री वो एक गाली दोहराओ।
कहने लगी..
बांटे ख्वाब, वादे, खुशियाँ, एहसासों की पोटली उठा ले जाओ।
कहने लगी..
लिखे खत्त, बनाएं चित्र, दिलाए लिबास को आग में झोंक जाओ।
कहने लगी..
अपने पसंदीदा शख्स को जाने दो..
उसे घुटन होने लगी है, आज़ाद कर जाओ।

पूरी ज़िंदगी चुप रही, आज सिर्फ वही थी जो चुप न हुई।।

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30 JUL 2023 AT 23:08

इतना जूझे हैं दिल ही दिल, कि..
मंज़र बेशक न देखे हों,
फ़िर भी गहराइयों से वाक़िफ हैं।

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20 JUN 2023 AT 9:36

क्या तेरे भी सर-परस्त डांटते हैं..?
जब इस टूटे से नाचीज़ पत्थर को तू
उनसे चोरी ले जा के
कभी सजाता कभी पटकता हुआ
पकड़ा जाता है?

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26 MAY 2023 AT 9:26

नज़रें उठा के देख तू भी..
तेरा आशिक़ भी तुझसा लाल है।
अब दोनों नज़र झुकाएंगे तो..
रहना दिलों का हाल - बेहाल है।।

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