विश्वास में वास् है विष का
आशा में छुपी हैं निराशा
शब्दो के संग ना बहना हैं
शर्त भरी हर भाषा
इंसान का दिल भी पठार सा जायेय तराषा.....-
कोई ढूढ़े अपने खुदा को
कोई अपने सनम को
अपना खुदा भी अपना सनम भी
मिल गया तुझमे हमको
कर लिए वादे, खाई कसम तक
लाये कसम दिल के संगम तक
संगम होगा जनम जनम तक
छोड़ेंगे ना हम तेरा साथ
ओ साथी मरते दम तक
छोड़ेंगे ना हम तेरा साथ
ओ साथी मरते दम तक
(Lyrics by Ravindra Jain)-
मन जितना जीना चाहे, तन उतना ही मरता जाए , इंसान की हिमाकत देखो उम्मीद ही करता जाए।
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विश्वास में वास है विष का
आशा में छुपी है निराशा
शब्दों के संग ना बहना
है छल सी भरी हर भाषा
इन्सान का दिल भी
पत्थर सा जाएं तराशा..
जाते हुए ये पल छिन
क्यूं जीवन लिए जाए.......-
इंद्र योगि-यतियों पे अखंड वृतियों पे
काम देव द्वारा काम बाण चलवाते हैं,
कोई भी तनिक यश नाम अर्जित करे
सुर पति उसको पचा नहीं पाते हैं,
जो भी नारायण नारायण जपते हैं,
कोटि काम देव नारायण से लजाते हैं,
लक्ष्मीकांत जिसकी स्वरक्षा में स्वयम रहें
काम बाण वहाँ कुछ काम नहीं आते हैं।।
श्री रविंद्र रामायण (नारद मोह भंग)-
काशी है संसार के तीर्थों में विख्यात
यह वह धाम विराजते जहाँ शिवजी साक्षात्
काशी यह हमारी तीनों लोकों से न्यायरी
काशीपति महादेव सभी देवो से न्यारे हैं
प्रलय के समय भी डूबेगी न काशी हमें
आश्वाशन मिला है हमें प्रलयंकर से
शिव और काशी पर्याय एक दूसरे के
काशी का अटूट नाता भोले शंकर से
काशी आके शिव को न ढूंढना पड़ेगा
पता उनका मिलेगा तुम्हे कंकर कंकर से
शम्भू निवास मुक्ति का धाम
काशी के कण कण को प्रणाम
अजर अमर अविचल अविनाशी
विश्वनाथ की नगरी काशी
वरुणा अस्सी का संगम प्यारा
वाराणसी कहे जग सारा
गंगा के यहाँ घाट चौरासी
लाख चौरासी योनि के नासी-
विश्वास में वास है विष का, आशा में छुपी है निराशा।
शब्दो के संग न बहना, है छल से भरी हर भाषा।-