मुझ सा शातिर कहीं खो गया अंजान किसी मोड़ पर
सुना है वो भी मुझे ढूंढ रहे शहर शहर आवारा दरबदर-
15 MAY AT 1:27
15 MAY AT 0:50
जाने किस स्याही से लिखा था उसने मेरी हथेली पर
प्यार का इक़रार कि दिखे भी नहीं और मिटे भी नहीं-
31 MAR AT 11:20
दिल से मैंने हज़ारों बे–दिली की
फिर भी क़ायम है तुमसे मोहब्बत का सुरूर..!-
31 MAR AT 10:59
तुम्हारे यादों के ज़ख्म कुछ इस तरह भरने लगे
तेरे नाम से आते ख्यालों को भी हम बदलने लगे..!-
2 DEC 2024 AT 8:13
यूंही नहीं गिरते ख्वाहिशों के फूल झोली में
या तो आंचल फैलाना होगा पारिजात के तले ..-
21 NOV 2024 AT 17:47
मैं क्यों कहूं उस से कि मुझसे बात कर ले
क्या उसे नहीं पता उसके बग़ैर मेरा दिल नहीं लगता
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8 SEP 2024 AT 0:32
मुट्ठी में छुपा लेते हैं वो मेरे आंखों के जुगनू
कहते हैं हमारे अंधेरों को रौशन करेगें..!!-