Manish Kumar Rai   (Manish Kumar Rai)
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Engineer Poet Writer Dancer Music Lover
Joined 28 June 2018


Engineer Poet Writer Dancer Music Lover
Joined 28 June 2018
1 DEC 2023 AT 21:16

सूरज हूं ज़िंदगी की रमक छोड़ जाऊंगा,
मैं डूब भी गया तो चमक छोड़ जाऊंगा

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20 SEP 2023 AT 13:09

निठुर विसर्जन बेला आयी
जलमें मूर्ती बहानेकी
भक्त करें गणपतिसे विनती
शीघ्र लौटकर आनेकी
शुभागमन स्थानपना विसर्जन
विधिवत सब सम्पन्न हुए
गजानंद जल्दी लौट के आना
विनायक हमको न बिसराना
गणपती बाप्पा मोरया, पुढच्या वर्षी लवकर या

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20 SEP 2023 AT 13:00

जय जय गौरीपुत्र गणेश जय जय गौरीपुत्र गणेश
सर्व देवों के प्रथम पूज्य हो परम हितैषी तुम हो हितेश
विशाल काया मूषक वाहन प्रिय तुम्हारा मोदक भोजन
जय हो चतुर्भुज अष्टविनायक हे लम्बोदर हे गणनायक
तुमसे ही तोह शुभ हो जाता यह सारा परिवेश
वक्रतुण्ड हो तुम हो गजानन मंगलमूर्ति हो भय भंजन
रिद्धि सिद्धि के तुम हो दाता भाग्य के भी भाग्य विधाता
तुमसे कटते तुम्ही हरते सबके कष्ट कलेश
विघ्नहर्ता हो तुम सुखकर्ता जग के पालक हो दुखहर्ता
तुम्ही कर्ता तुम्ही कारण अर्थ समर्थ हो तुम शुभ कानन
तीनों लोक में शेष सभी हैं तुम हो देव विशेष

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19 SEP 2023 AT 22:26

मंगलकर्ता अंतर्यामी रिद्धि सिद्धि के यह हैं स्वामी श्री गणेश
प्रथम पूज्य है परमदेव हैं सबके मिटाये कष्ट कलेश
ज्ञानेश्वर हैं सत्य यही हैं, हैं ये सनातन नित्य यही हैं
समय की सीमा श्री गणेश हैं अंत आरम्भ व मध्य यही हैं
भक्ति की ये देते शक्ति भय बंधन से देते मुक्ति
निराकार साकार यही हैं हर युग का आधार यही हैं
अर्थ समर्थ ये इनसे जीवन यही है कर्ता यही है कारण
सारे जगत के भाग्य विधाता दुःख हर्ता यह हैं सुख दाता

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23 OCT 2022 AT 23:48

जय गणपति मंगलकरण हरण तिमिर अज्ञान
विघ्न विनाशक आपका प्रथम करें आवाहन
कीजिये यहाँ पदार्पण रिद्धि सिद्धि के साथ
लक्ष्मी पूजन हो सफल वर डीजे गणनाथ
धन्नकी देवी आपका है सविनय आवाहन
पद पूजा की मातश्री आज्ञा करो प्रदान
सागर मंथनसे प्रगट सुनिधि श्रेष्ठम आप
डाल गले जयमाल श्री हरी से किया मिलाप
पर्व दिवाली का मधुर मंगलमय त्यौहार
माता आज पधारती हर आँगन हर द्वार
अगणित दीपक जल रहे जग मग चारों ओर
रात अमावस की भाई ज्योतिर्मयी सुभोर
लक्ष्मी पूजन सब करे इस आशा के साथ
घर घर निधियां भेजती आप कुबेर के हाथ
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।।

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23 OCT 2022 AT 23:29

लक्ष्मी संग जहाँ राजते मंगल मूर्ति गणेश
सिद्धिसदन गजवदन तहँ शुभकरें हमेश
माता तुम मंगलमयी छवि श्री छटा अपूर्व
उत्तर दक्षिण व्याप्त हो वांछित पश्चिम पूर्व
तीनलोक तिहु कालमें शाश्वत आद्या रूप
सबको लक्ष्मी कामना क्या निर्धन क्या भूप
लक्ष्मी लक्ष्मी सब कहें हरी हरी कहेना कोये
हरी लक्ष्मी जो संग कहे दोनोको अति प्रिय होये
दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं !!!

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23 OCT 2022 AT 23:24

आयी दिवाली जरे दिवला दिवला जो जरेतो कहाई दिवाली
निर्धन और धनवान सभी ने समान सुखों से सजाई दिवाली
आँगन द्वार मुंडेरन पे देखो ज्योतही ज्योत सी छायी दिवाली
अम्बर नित्य मनावत है धरती नेहु आज मनाई दिवाली
खोलके द्वार खड़ी गृहलक्ष्मी की लक्ष्मी हमारे ही गृह में आवे
लक्ष्मी चंचल प्रकृति की स्वामिनी केवल एक तिजोरी उसे नहीं भावे
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

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29 JUL 2022 AT 8:13

श्मशान पर पड़ी राख को छान कर हमने देखा था।
वहाँ किसी पिता नहीं था ना हीं किसी का बेटा था ।।
दम्भ, अभिमान, घमन्ड सब यहीं धरे रह जाते हैं।
कितने भी लम्बे चौडे हो, सभी राख बन जाते हैं ।।
लालच, ममता और मोह, सभी यही धरा रह जाता हैं।
काम, क्रोध, लोभ हो कुछ भी, साथ नही वहां जाता है।।
देखा हमने उसी राख को, जब थोडा गहरा जाकर।
कर्मो का फल वहीं मिला, भला बुरा सब बतला कर।।
कब्रिस्तान में हमने जाकर, जब कब्र को था खोदा।
जिस इंशान मे सब्र नहीं था, बड़े सब्र से था सोया ।।
भागम भाग करी जीवन भर, थक कर सोया था वहाँ ।
पाप पुन्य जो भी किये सब, धरे रह गये थे सभी यहाँ।।
जीवन भर की भाग दौड़ और, तृष्णा से जो भी पाया।
उसके साथ कुछ भी न मिला, खाली हाथ उसे पाया।।
जो मुट्ठी बांध कर आया जग में, हाथ पसारे चला गया ।
जो भी कमाया लूट खसूट कर, सब यहीं पर छूट गया ।।
तृष्णा करने से कुछ भी नहीं होता, दूजो को सब हैं समझाते।
खुद तृष्णा में पड़े हुये हैं जीते जी, वह खुद ही समझ नही पाते।।

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13 JUL 2022 AT 7:50

गुरू चरणों में स्वर्ग है, गुरू चरणों में मोक्ष ।
गुरू के सम्यक ज्ञान से, कुछ भी नहीं परोक्ष ।।
गुरू बिन जड़ता ना मिटै, गुरू बिन मिलेन ज्ञान ।
गुरू के बतलाए बिना, ईश्वर हो पाषान ।।
शब्दों का भंडार ले, शास्त्र पड़े रहें मौन ।
गुरू की अनुकंपा बिना, अर्थ बताए कौन ।।
दो आखर के नाम कौ, जान न पाए भेद ।
गुरू की महिमा कहन में, हारे चारों वेद ।।
जो प्राणी गुरू नाम की, सीढ़ी लेय लगाय ।
ईश्वर रूपी गगन तक, निश्चित पहुंचे जाय ।।
गुरूमुख भाषित गुरूमुखी, गुरूवाणी अनमोल ।
गुरू कहते हरि पाएगा, घुघट के पट खोल ।।
स्मरण योग्य गुरू नाम है, दर्शनीय गुरू वेश ।
वंदनीय गुरू रूप में, ब्रह्मा विष्णु महेश ।।
घर को साफ किया नहीं, मालिक को रहा टेर ।
गुरू कहते हरि मिलन में, किस कारण है देर ।।
जन-जन से परिचय करे, खुद से तू अनजान ।
गुरू के सन्मुख बैठकर, अपने को पहचान ।।
देविन में माता प्रथम, देवन में गुरूदेव ।
जो गुरूजन के दास हैं, तू उनकी कर सेव ।।
परमेश्वर की प्राप्ति में, यंत्र लगे ना तंत्र ।
परमहंस गुरूवर कहें, जप सोहम् गुरूमंत्र ।।
गुरूवर के श्रीपद गहो, मुक्ति लालसा छोड़ ।
गुरू पद की दासी बनी, मुक्ति खड़ी कर जोड़ ।।

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6 JUL 2022 AT 23:57

दिल में जिसके नृत्य भरा था घुघरू भी गुलाम हो गए उसके
फिर क्या बिसात कदमो की जो थिरकने से रोक पाते
नृत्य की दुनिया हमारी कल्पना से भी बहुत
अधिक खूबसूरत और मनमोहक है
वैसे तो हमारे पैरो का काम है चलना
लेकिन उनका शौक होता है नाचना

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