बसंत में गुलाल की बहार हैं होली
अपनो के साथ खोए रहो,सरशार हैं होली ।
तेरे गाल पर रंग लाल पहले मेरा हो
तेरे मेरे रिश्ते की सरोकार हैं होली ।
आसमां भी अलग रंग में रंग जाता हैं
ज़मीं में साथ मनाने का त्योहार हैं होली ।
कब तक मेरे हाथों में गुलाल रहे
तेरी कबा पर अबीर की निगार हैं होली ।
याराें के साथ ये पल हमेशा यादगार रहे
नींद नहाई इस दुनिया पर पड़ी फुहार हैं होली ।-
तितलियों के रंगों से ज्यादा....
थी उनकी अदाएंँ रंगीली...
समंदर की गहराइयों सी...
थी उनकी आंँखें ये नीली...
उनके बाहरी सुंदर अलौकिक...
छवि में इस तरह था खो गया...
ना पढ़ पाया उनका हृदय मैं...
कि अंतर्मन से थी वो पत्थरीली...-
सभी को खुश रखने के लिए,
हमें अपनी प्रकृति को एक रंगमंच की स्क्रीन की तरह रखना चाहिए,
यह सभी रंगों और पात्रों को स्वीकार करता है,
लेकिन शो के बाद शुद्ध सफेद बना रहता है!!-
रंगों की कुछ अलग ही बिसात होती है,
वो भला कब मज़हबों की मोहताज होती है।-
वेदना रह रह कसक जाती है दिल में
रंगो का उत्सव भला कैसे मनाये
निशा जो बैठी द्वार पर धूनी जमाए
रोशनी का उत्सव भला कैसे मनाए-
तमाम रंग थे मेरे जीवन में जिसके होने से
बेरंग भी उसी ने मेरी दुनिया को किया...!-
In Rango Mai Wo Rang Kaha
Jo Rang Log Badalte Hai!!
ان رنگوں میں وہ رنگ کہاں
جورنگ لوگ بدلتے ہے--
अक्सर जब वो बोलता है तो मैं चुप हो जाती हूँ
कुछ इस तरह मैं उससे अपना इश्क़ जताती हूँ
मगर वो नादान समझता ही नही है
हमारे रिश्ते के लिए क्या गलत और क्या सही है
जान जाए वो अगर तो हमारी जिंदगी खुशियों से तर जाए
और हमारी मोहब्बत थोड़ी और रंगों से भर जाए जाएं-
होली आ रही है ,रंग डालने वालों से नहीं रंग बदलने वालों से डरें।
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ख्वाव-ए-माफ़ी नामा...
यूँ समझो की मोहब्बते-ए-इख्लाख़ बयाँ कर रहा हूँ...
प्यार की वो दास्ताँ महफ़ूज है, मेरे अस्कों के दरया में...।।
गलतियाँ की है मैने... 🙏🙏
दुनयावी माफ़ी माँगी है,,, अब रूहानी माफ़ी माफ कर दो..।।
ये ख्वाव सा पूरा होता दिखेगा,, ख़ुशी उतनी ही होगी..
तुम्हारे माफ़ करने से... ये ख्वाव सा होगा मेरा..।।
तुमसे इश्क़ का जनून कुछ इस क़दर है..
पाक़ मंजर भी बदनसीब होगा तुम सा कोई सामिल ना होने से...।।
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