रंगों का क्या है जनाब सब बदलते हैं..
कुछ खतरा से बचने के लिए तो कुछ खतरा बनने के लिए...-
ज़नाब! मैंने देखा है इश्क़ को रंग बदलते हुए
गिर्गिट तो बेवज़ह बदनाम है-
पल पल रंग बदलने वाले
जानवर को तो "गिरगिट" कहते है,
लेकिन जो इंसान पल पल
"रंग" बदले उसे क्या कहा जाए?-
तुम दिल से इतने कड़वे और जुबान से इतने मीठे
हाय, शहद तो खुद पर शरमा जाये यार....
जब भी तुम्हारा ये रूप देखे.!!
तुम्हारा हर बात पर फटाक से
यूँ रंग बदल लेने की अदा ,
सच कहूं तो मुझे आज भी बहुत चौंकातें हैं..
हाय, इन रंगों ने भी शायद तुमसे ही जाना
होगा यार....
कि धरती पर इतने रंग भी होते हैं.!!
-@rajputshanvi
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इश्क़ से नफ़रत, मुस्कान से आक्रोश, फिक्र से बेफिक्री, हर एहसास का रंग बदल गया है
मोहब्बत तो उसे आज भी है मुझसे, बस मोहब्बत करने का ढंग बदल गया है...-
ये होली तो चली गयी मगर ये नेता लोग तो रोज होली खेलते हैं ... रोज पार्टी बदलते हैं ... रोज रंग बदलते हैं
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अगर दुनिया में कोई चीज़ है जो नहीं बदलती है तो वो है “सच”। वरना लोगों को तो छोड़ो, मैंने खुद को भी रंग बदलते देखता है।
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जिस रंग से मिलन हुआ,
ख़ुद को उस रंग का बना दिया..
मैंने तो याराना निभाया,
लोगों ने रंगबदलना क़रार दिया।-
Badalte rang, badalte log,
badalti baate aur badalte ehsaas...
Kuch cheeze badal ke sawar jati hai
aur kuch ujad jati hai-
Khushiyon ki saude khwabo se
kar aayi.
Ab kaise meri imaan ki boli
lagayenge.
Bazaar lag gya hai phir sheher
ki neelami ka.
Ab kya meri khwaishiyon ka
bhi baazar lagaenge..-