धुआं-धुआं धुंध की खाई, आग की गुमसुम लपटे हैं,
छाई-छाई काली चादर छाई, मुश्किलें रोज़ झपटे हैं,
ख़्वाब-ख्वाब पोटली बांधे, एक कोने में लटके हैं,
आंच ना आने पाए कोई, रस्ते में बहुत झटके हैं,
ज़िन्दगी सबकी एक सी है, जिंदगानी सबकी हटके हैं,
धुआं-धुआं धुंध की खाई, आग की गुमसुम लपटे हैं,
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