कल हम भी बारिश मे छपाके लगाया करते थे,
आज इसी बारिश मे कीटाणु देखना सीख गए।
कल बेफिक्र थे कि माँ क्या कहेगी,
आज बारिश से मोबाइल बचाना सीख गए।
कल दुआ करते थे कि बरसे बेहिसाब तो छुट्टी हो जाए,
अब डरते हैं कि रुके ये बारिश कही ड्यूटी न छूट जाए।
किसने कहा नहीं आती वो बचपन वाली बारिश,
हम ख़ुद अब काग़ज़ की नाव बनाना भूल गए,
बारिश तो अब भी बारिश है,
हम अपना जमाना भूल गए।
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