ईकाई
सौ किस्मों का बाज़ार, हजारों रंग दिखाए,
लाखों है जेब मैं, करोड़ों की आस जगाए।
अरबों के अधिकार, करोड़ों छीन रहे है,
लाखों उठा आवाज,सौ सपने बीन रहे है।
कि इक सपने के साथ होते है सौ सौ सपने,
और सौ सपनों को देख हजारों जग उठते है।
हुजूम हजारों का देख, लाखों का मन हर्षाए,
लाखों लगाए आवाज, करोड़ों जठ उठ जाए।
करोड़ों जो जगे, फिर किसी का बस चल पाए,
अरबों की चले सरकार, अधिकार अपने पाएं।
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