जिसके अपने हुए शहीद उसका क्या? जो सर्द रातों में बैठे उसका क्या? जिसने झेले गर्म हवाओं के थपेड़े उसका क्या? जो बारिश के गीले बिस्तर पर सोया उसका क्या? तुमने जितने जाल बिछाए उसका क्या? तुमने जो तोहमते लगाई उसका क्या? तुमने हमको खालिस्तानी बोला उसका क्या? लाल किले का दंगाई बोला उसका क्या? झूठ परोसा सच बतलाकर उसका क्या? सच छिपाया झूठ दिखाकर उसका क्या? तुमने कुचला कमज़ोर समझकर उसका क्या? तुमने राहों में कील बिछाई उसका क्या? चुनाव आते ही बात मान गए उसका क्या? हार दिखी तो बात समझ गए उसका क्या? रहने भी दो जाओ जाओ अब हुआ तमाशा, सब समझ गए है तुम्हारी परम अभिलाषा।
मजदूरों की मेहनत सा, प्यार किया है तुमसे मैंने। सर्वहारा की ताक़त जैसा, इकरार किया है तुमसे मैंने। अक्टूबर की क्रांति जैसा, भड़क रहा है मेरा दिल। वामपंथी विचारों जैसा, साम्यवादी है मेरा दिल। चे बाबा के अरमानों जैसा, जोशीला है प्यार मेरा। मार्क्स भाई के दिमाग सा, बहुत गूढ़ है प्यार मेरा। फिदेल गुरु के शासन सा, लंबा बहुत है इंतजार मेरा। हो ची मिन्ह के हौंसले सा, कट्टर बहुत है प्यार मेरा। लाल रंग के साथी सब है, लाल रंग सा प्यार मेरा।