अपनी मोहब्बत के पिंजड़े से कर दिया आज़ाद उसे..
जिस परींदे मे बस्ती थी जान हमारी।।🥀😔।।-
चार दिन खुद को घर में कैद क्या किया इतनी तकलीफ़ होने लगी
और उन पंछियों का क्या जिन्हें सालों से पिंजड़ों में कैद रखा है-
Kuch is kadar tutta hai Dil hmara...
K Mohabbat hi Gumnaam hogyi....
Abhi udna shuru hi Kiya tha...
K prinde bhi kehne lge....
Are oh....Laut ja....ab to sham hogyi....-
दायरे भी पता हैं, कायदे भी पता हैं, वायदे भी सारे याद हैं,
दिन भर उड़ कर, फिर शाम को अपने घोंसले में लौट आना,
माँ की दी यह नसीहत वर्षों पुरानी, परिंदे को आज भी याद है।-
परिंदो का वो झुंड शाम होते ही घर को लौट पड़ता है।
वो अंधेरे से नहीं जनाब कुछ वेशही दरिंदो से डरता है।-
होना तो ये चाहिए कि हर जख्म भर जाना चाहिए
शाम होने को है हर परिंदे को अपने घर जाना चाहिए
Continue in caption-
उसे खुद ही अलग कर दिया खुदसे हमने
नहीं जानते कैसे जीएंगे उसके बिना
मगर इतना जरूर जानते है
कि वो भी नहीं रह पाएंगे हमारे बिना-
Mohabbat aisi thi humari ki mashoor sareaam ho gyi...
Vafai ke is aalam me bevafai
Kahi gumnaam ho gyi..
Sath diya parindo ne bhi apna
Aur aajad bandishein humari tamam ho gyi..-
"परिंदे "
बेबसी उस परिंदे से पूछो।
जो खुले आसमान होते हुए ,
भी अपनी मर्जी से उड़ नहीं सकता ।-
जैसी भी हो ज़िन्दगी इसे जीना ही है
अंत में हमें राख में मिलना ही है-