एक शायर से ज़रा पूछो,
उसके दिल पर क्या गुज़री,
बुझी - बुझी सी ज़िन्दगी से,
बहाव जो लिखती,
ज़ख्म जो थोड़े गहरे,
मगर पस बाकी ,
तन्हाइयों में जो उसके,
केसुओं में रंजिश ढूंढ़ती।।
- पूजा गौतम
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I have lost count of time
That I ended up crying
I never found love
And I m tired of trying-
I see
those poetries falling
on me.
Yet I don't catch
them
Do you catch
water when you bathe?
Let the poetries
clean me through,
wet me till toes,
wash my pains
and
then I would be dried
to veins
And ready to face
you-
शाम के साहिलों पर
शाम के साहिलों पर खड़े,
लहरों से पूछो,
कितनी यादें छिपाए रखी है❓
कारण दुसरे किनारे से बिछड़न,
प्रेम की राहों में कांटे बिछाए रखी है।
खंडहर हुए,
उस कश्ती के सिरे पर
किसी के आंसुओ के निशां हैं क्या❓
और उसकी चर्चराहट में पायल की गुंजन❓
कितने राज़ दबाए रखी है❓
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If paper were leaf,
how many autumns
it would have to
shed itself
for your poems to exist?
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हाँ, मना किया था नहीं है इश्क़
मगर जब आज बारिश आयी
और याद आया तेरा दिया इनाम
तब ये दिल किया तेरे नाम
हाँ, मना किया था नहीं है इश्क़
मगर जब रात ने मेरी
आँखो में देखा तेरा जाम
तब ये दिल किया तेरे नाम
हाँ, मना किया था नहीं है इश्क़
मगर जब हंसते - हंसते रो गई
और तेरे संग बिताई याद आयी वो शाम
तब ये दिल किया तेरे नाम
हाँ, मना किया था नहीं है इश्क़
मगर जब तुझे देखते - देखते
भुला बैठी थी सारे काम
तब ये दिल किया तेरे नाम
हाँ, मना किया था नहीं है इश्क़
मगर जब ख़रीदा तेरे लिए तोफा
और उसकी कीमत बन गयी महज़ दाम
तब ये दिल किया तेरे नाम |-
Falling for her words is easy..
But it's hard to love her
like the way she wants...
Coz like her poetries,,
her fantasies are
Impenetrable...
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