जरा सी बात थी वो
जरा सी बात थी वो, ये काश तुम्हे बता दिया होता
जख्म दर जख्म, जख्म नासूर है,दिखा दिया होता
मचल कर बैठ गई हसरतें,वफ़ा ने तेरी थका दिया
खुद छोड़ आता जहां भागे, पता बता दिया होता
क्या कटी पतंग ए जिन्दगी, कटीले डाल है लटकी
मौसमों की मार से जर्जर,आहिस्ते उड़ा लिया होता
हमें कांटों में उलझा हंसते, हंसो गर सबब नहीं तुम
दुखाया दिल मैंने? आंखो में जख्म दिला दिया होता
आंखो में तड़पन,इतनी जलन! सावन जलाना चाहे
है राह तकती आंखे,चिराग ए रास्ता बुझा दिया होता-
ये पल जैसे
ये पल जैसे शाम आज, चलने लगे अविरल! अविरल!
सुन प्रिये, तू पास आ, ना थम सकूं, तू भी साथ निकल।
आकांक्षाओं की मैं दो पंख बनूं, तू आ मूझपे बैठ सघन,
उड़ता मैं, चुमूं तुझे गगन गगन, तू मुझमें हो मगन मगन।
तू बन बैठ यूं वीणा की तार, मैं आकुल छेडूं तेरे श्रृंगार,
सुन, तन मन कौतूहल, तू बस बन बह जा मेरा मृगजल।
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दिल! दरवाज़ा कर ले बंद
दिल! दरवाज़ा कर ले बंद,
ना अब किसी को आने दे।
रिश्तों के नखरे बहुत हैं,
आपसी झगड़े बहुत l
स्वाभिमान की ठसक,
नए स्वांग,
कई रंग ज़माने के।
दिल! दरवाजा कर ले बंद,
ना अब किसी को आने दे।
(शेष अनुशीर्षक
Caption में पढ़ें)
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ए गुजरती रात !
पास रह, बात सुन जरा,
दिन गुजरा बेचैन,
एक पल न ठहरा।
दिखता मेरा शहर नही,
यहां अपना घर नही
मुस्कानों की अर्जियां,
अंदर जख्म गहरा l
(नीचे अनुशीर्षक में पढ़ें)
Caption
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शाम के साहिलों पर
शाम के साहिलों पर खड़े,
लहरों से पूछो,
कितनी यादें छिपाए रखी है❓
कारण दुसरे किनारे से बिछड़न,
प्रेम की राहों में कांटे बिछाए रखी है।
खंडहर हुए,
उस कश्ती के सिरे पर
किसी के आंसुओ के निशां हैं क्या❓
और उसकी चर्चराहट में पायल की गुंजन❓
कितने राज़ दबाए रखी है❓
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The only way to forget is
The only way to forget is through the loop of time
then slowly binding up wounds, the pain declines.
Rebellious tears dimmed the eyesight to memories,
Fading sunny days and these soulful cloudy crimes.
The White silence banishing last rosy colours away,
If Wrinkled heart could understand, not in its prime
Crystal moon penetrating the long mad cloudy night,
Wonders,If this life enough to see another sunshine.-
कहानी कुछ और थी
कहानी कुछ और ही थी
रंग बिरंगे वहां पन्ने तो थे
पर दागदार स्याही थी,इनमें जुर्म कई छिपाए थी
शिकायत कुछ और ही थी
सवालों पे मुस्कुराए तो थे
जबरन सहमति जताई थी,आंखों में रुसवाई थी
सहमति कुछ और ही थी
बेमन हामियां भरे तो थे
दिल में आग लगाई थी, बातों से बातें दबाई थी
तस्वीर कुछ और ही थी
हंसते चहेरे बनाए तो थे
इरादतन खुशियां दिखाई थी,जुबाबंद गवाही थी
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दिल की बात ना मानी
करें क्या,किसीने दिल की बात न मानी है
लाचार अर्जियां, सुखा आंखों का पानी है
कुछ बातों ने तो चुप्पी अब सीख है रखी
तो लम्हें भी सीख रहे दूरियां दरमियानी है
फुरसत के शाम की हर चाय सवाल करती
सारे मौसम उलझ पड़े, आसमां जामुनी है
बदल लें रवैया निगाहों का देखने को तुम्हें
खुली आँखें सम्हालें,रहे बंद भी परेशानी है
दीवारों ने बोलता चेहरा ओढ़ा चुप्पियों से
करे क्या करें, दरारों में अब भी निशानी है
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किसी से कुछ नही कहना
किसी से कुछ नही कहना यहां, मानेगा नही
समझाना समझदारों को नही, समझेगा नहीं
यादों में है खोए रहते, दिन में भी है सोए रहते
अब मांगना ना वक्त से मोहलत, गुजरेगा नहीं
उम्मीदी बनती बोझ दिल पे,उनके गैर होने से
रोक सको जिनके रास्ते हैं अलग, रुकेगा नहीं
सिफारिशों के पसीने छूटे,किस्मतें कुबूल करो
मांग देखना तो हाथ मुस्किलों में, दिखेगा नहीं
मैं बारिश नहाना चाहता, यादें मिटाना चाहता
तोहफे में दिया,वापस सावन यहां बरसेगा नहीं-
कहा न गया तुमसे
बार जो एक भी कहा नही गया है आज भी तुमसे
नही सोच मैं पा रहा,कह तुम ही दो गजब हो जाए
बारिशें तुमने भी रोकी, मुस्काने झूठी है समझते हैं
ये शहर धूप तप रहा,वहां भिगो तुम सितम हो जाए
बहुत है चुकाई कीमत वक्त को मोहलत की खातिर
सकूं की तलाश फरेब,ये बेचैनियां आदतन हो जाए
गुमान उन्हें है चालबाजियों पर खुदा की परवाह नही
उफ्फ! इबादत ए सफर,काफिरों का मजहब हो जाए
बार एक भी कहा न तुमने,अब एतबार मुनासिब नही
तेरे मरहम की मिन्नते करता ये जख्म बेअदब हो जाए
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