तंडुल निर्मित पिंड युक्ति के निमित्त अर्पण करना
हे वंशजों मुक्त करना दशम् श्राद्ध समर्पण करना-
*पितरों को नमन*
वो कल थे तो आज हम हैं
उनके ही तो अंश हम हैं।
जीवन मिला उन्हीं से
उनके कृतज्ञ हम हैं,
सदियों से चलती आयी
श्रंखला की कड़ी हम हैं।
गुण धर्म उनके ही दिये
उनके प्रतीक हम हैं,
रीत रिवाज़ उनके हैं दिये
संस्कारों में उनके हम हैं।
देखा नहीं सब पुरखों को
पर उनके ऋणी तो हम हैं,
पाया बहुत उन्हीं से पर
न जान पाते हम हैं।
दिखते नहीं वो हमको
पर उनकी नज़र में हम हैं,
देते सदा आशीष हमको
धन्य उनसे हम हैं।
खुश होते उन्नति से
दुखी होते अवनति से,
देते हमें सहारा
उनकी संतान जो हम हैं।
इतने जो दिवस मनाते
मित्रता प्रेम आदि के,
पितरों को भी याद कर लें
जिनकी वजह से हम हैं।
आओ नमन कर लें, कृतज्ञ हो लें,
क्षमा माँग लें, आशीष ले लें
पितरों से जो चाहते हमारा भला
उनके जो अंश हम हैं...!!!
*सर्व पितृ पितरों को शत शत नमन🙏🙏🌷🌷*-
आज से पितृपक्ष प्रारंभ हो गए हैं
अपने पितरों का तर्पण अवश्य करें
पितृपक्ष आज पूर्णमासी से प्रारंभ होकर अमावस्या तक रहेंगे
कृपया इन 15 दिनों मैं कोई भी गलत कार्य जैसे झूठ न बोलें ,चोरी आदि न करें ,किसी का हृदय ना दुखाए, किसी भी जीव की हत्या न करें
..........शांतिपूर्वक अपने पूर्वजों का नाम लेकर गौ अर्थात गाय ,कौवा ,कुत्ते इत्यादि को भोजन कराएं यदि संभव हो सके तो गरीब असहाय लोगों को भी भोजन कराएं-
आप ही से हैं हम, आपसे ही समस्त परिवार है।
मकान लगता है घर इसमे आपका ही प्यार है।
मौजूदगी आपकी जैसे सर पे छत का एहसास है,
आपका ही आशिर्वाद है जिससे फलता फूलता परिवार है।
आप से ही सम्पूर्ण आपका ये घर संसार है।
Miss You माँ बाउजी (दादा दादी) ❤️-
जीवित पिता का कभी हाल न जाना
उनका कहा तो तुमने कभी ना माना।
लालच थी जब तो कर देते थे सेवा
ताकि मिल जाए कुछ भौतिक मेवा।।
किया सदा उनके आदेश का उल्लंघन
प्रेम से किया तुमने कभी न आलिंगन।
जिसने तुम्हें अपने कंधे पर बिठाया
तुम्हारे कहने पर हर वो चीज दिलाया ।
मालिक को ही बोझ समझने लगते हो
उनको उनके घर से अलग कर देते हो।।
मरने के बाद अब क्यों करते हो श्राद्ध
जीवित सेवा नहीं तो क्या लाभ आज।
कौवा बनाकर आत्मा खाना नहीं खाती
क्योंकि तुम्हें यह सच बताती है स्वाती ।
जिसको पूरे साल अशुभ तुम कहते हो
उस कौवे को आज बाप बना लेते हो।।
-
Learnings from Pitra Paksha!
God remains the savior of all.
We offer food to God while celebrating and while missing our close ones!!-
तन , मन , धन सब कुछ आपको अर्पण है ।
हे पितरो! आपको बारम्बार तर्पण है ।।
पितृऋण से मुक्ति की युक्ति आज निश्चित कर रहें
अंजुली में कुश और जल की बूँदे हम भर रहें ।
आँखें हैं नम और दिल से सम्मान अर्पण है
हे पितरो! आपको बारम्बार तर्पण है ।।
थाल सजी पकवानों से आज हम परोस लाएं
धन्य , धान्य से सम्पन्न रखना यही फल हम पाएं ।
इस आशा के साथ आपको थाल अर्पण है
हे पितरो! आपको बारम्बार तर्पण है ।।
जीवन सर्वस्य हमारा पितृऋण का ऋणी रहेगा
आशा है आपका आशीष सदा हम पर बना रहेगा ।
पितृमोक्ष अमावस्या में विशेष वन्दन अर्पण है
हे पितरो! आपको बारम्बार तर्पण है ।।-
जिंदा बाप कोई ना पूजे,
मरा बाप पूजवाये,
मुट्ठी भर दाणा देकर,
कौवें को बाप बनायें।।।
-Noddy-
उनसे क्या उम्मीद करें, जिन्होंने जीते जी तो पूछा नहीं,
और मरने के बाद, पूआ-पकवानों का भोग लगा रहे हैं।-