किसी की थाली में जगह नही, परिपूर्ण यहां भंडार हैं..
कोई मोहताज दाने दाने को, बस भूख की दुखद मार है..
कुछ भरे हुए पेट यहां, कर रहे भूख का व्यापार हैं..
खोज रही दरिद्र आंखें पेटियों में, रोटी के इक टुकड़े की बस दरकार है..
मार देती है भूख किसीको...तो किसी की भूख ही बेज़ार है..
कहे 'नारायण' कर्म अनोखा,
मिले मौका, कर लेना...
भूख की टीस दिखे कहीं तो,
क्षणिक, मन दरिद्र भर देना...
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