Zindagi ki is kataab main,
Vo ik bejubaan sa panna banke reh gaye.
Krni thi jinke saath har roz nok jhok,
Vo bin kahe hi alvida keh gaye.-
हमनें तो तुमको भरोसा करके...
अपने जिदंगी का सिर्फ एक पन्ना पढ़ने को दिया था...
पर तुमने तो...
झूठा वादा करके..
पूरी किताब ही ले ली...
उसे पूरा पढ़ लिया ..
और फिर जलाकर राख कर दिया...🙂-
गलती जीवन का एक पन्ना है और रिश्ते पूरी किताब
जरूरत पड़ने पर एक पन्ना फाड़ देना
लेकिन
एक पन्ने के लिए पुरी किताब कभी नहीं-
घमंड हुआ उस कलम को खुद पे
तो वो पन्ना भी इतराया
फिका पड़ गया हर शब्द
जब तेरा नाम लिखने के लिए
मैंने डायरी उठाया-
वीरांगना ने किया अपने पुत्र का बलिदान,
उदया को बचाकर, त्याग किया चंदन।
इतिहास के शिरमोरों में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाए नाम तेरा मां,
एक सच्ची स्वामिभक्ति कहलाने वाले उदयसिंह की धाय मां।
मैं आज उसी देवी की त्याग, बलिदान की गाथा सुनाऊं,
वो ही वीरांगना मां पन्ना धाय।
(अनुशिर्षक में पढ़ें 🙏😊)-
Khud Ko पढ़ती Hu
Fir छोड Deti Hu,
Ek पन्ना Zindagi Ka
Mai Roj मोड़ Deti Hu....-
Meri mohbatt ki kitaab ka 📒
Pehla panna bhi wo❤
OR
Ab aakhri bhi wo..❣-
Aaj fir se atit ke panno ko palta,
Ye soch ki ab toh sbb bhula diya,kuchh na yaad aane vaala
Kambakht tbb tk inn aansuon ne kaha
Sambhalkr ,,,
Thoda vaqt aur lagega-
तुमसे जो शिकायतें हैं उन्हें लिखने की तमन्ना है
पर कहीं पिछली बातों का खो गया पन्ना है
शायद तुम्ही कभी समझों पर कोई और नहीं क्योकि
मेरे दर्दों में इतनी गहराई मानों झील में उतरना है-
"मत कुरेद मेरे जख्मों को, इन पर मरहम लगा रखा है।
हमने अपनी डायरी से इश्क का पन्ना हटा रखा है।"-