गम-ए-ज़िन्दगी तू ही बता, इसे कैसे जिऊँ,
जो गम दिए इसने बहुत, उन्हें मैं कैसे सियूँ,
हर शाम गमों कि पोटली, शराब में भुला देता हूँ,
फ़िर गुज़ारने को ज़िन्दगी, शराब मैं कैसे ना पियूँ !!-
कागज़ पर लिखे शब्द, दिल पर छप जाते थे,
मोबाइल का दौर क्या आया, शब्द हवा हो गए !!-
जब भी गिरोगे, किसी के, दिल से नज़रों तक,
अश्क़ बह जायेंगे, किसी के, पलकों से अधरों तक,
बिखर जाएंगी हैं दीवारें, जब भी फिसलेगी जुबां,
टूट जाएगा विश्वास, किसी का, शीशे से घरों तक !!-
हूं मैं आज तेरे पिंजरे का पंछी
कल रहूँगा आज़ाद मेरे मन का
कर ले तू आज तेरे मन की मर्ज़ी
फिर फिरूंगा मैं बन के फिरंगी
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मंज़िलें मिल जाएंगी, घर से निकलो तो सही,
तैरना सीख जाओगे, समुन्दर में कूदो तो सही,
किश्ती को इंतेज़ार है, समुन्दर को छूने का,
पार हो जाएगी किश्ती, पतवार थामों तो सही,
आसमान की ऊँचाई बहुत है, नापने के लिए,
छोटा पड़ जायेगा आसमां, पंख फैलाओ तो सही,
अंधेरा फैला हुआ है, मन के भीतर, हर कोने तक,
मिटा देगी अंधेरे को रोशनी, दीया जलाओ तो सही,
सच दर्पण में कैद है, झूठ समाया है, आंखों में,
दर्पण में ख़ुद की ख़ुद से नज़र, मिलाओ तो सही !!-
तू कौन है, तू क्या है, तू किस मुक़ाम पर है,
तेरी ज़िन्दगी के फ़लसफ़े, किसकी जुबां पर है,
दर्पण दिखा देती है औक़ात, जब टकराती हैं नज़रें,
तेरे दिल में फैली है मोहब्बतें, वो फ़िर किसकी जुबां पर है?-
dear jindagi,
I am good at trusting others
And always been nice to them
But......
Why can't I get the same thing back
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only when life pushes you beyond edge, you realise there were Wings to fly!
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