तो सोचो
जो हाथ में खज़ाना कैद है अगर फिसल गया तो क्या करोगे-
"उम्र छोटी पर तज़ुर्बा बड़ा है मेरा"
उलझी हुए कुछ धागे जिंदगी के सुलझा रही हूँ
ब... read more
बिना वजह ही न जाने क्यों, लोग रूठ जाते है
कितनी भी कोशिश कर लो बंधन टूट जाते है
जो छोड़ रहे है, उनके दुःख का पता नही....
दुःख उन्हें अथाह होता है, जो छूट जाते है...-
रूठना कैसा होता है,ये मुझे नही पता...
क्योंकि शायद मुझे किसी ने कभी मनाया ही नहीं
मैं रूठ के ,टूट के बिखर गई...
मुझे अपनी प्यार भरी बाहों में किसी ने समाया ही नहीं
तुम अच्छी ,समझदार और काबिल हो, मुझे सब बताते है
पर तुम्हे भी प्यार किया जा सकता है, ये किसी ने बताया ही नहीं
मुझे पसंद नहीं है, ये तानेमार भाषा...
इसीलिए जब भी किसी दर से ताने मिले
मैने वो दरवाज़ा दोबारा कभी खटखटाया ही नहीं....
और रूठते कैसे है, ये मुझे कैसे ही पता होगा
मुझे तो कभी किसी ने मनाया ही नहीं.....-
बैठ के मेरे रेख्ता में.... बस आँखें मिलना हमसे
ये जान लो
हमे थाम कर हाथ, फिर छुड़ाना नही आता...-
लब्ज़ों से बयां नही हो रहा राज़ इन आँखों का
उन्हें हम कैसे बताये,
मतलब मेरी बेरुखी बातों का.....
जान तो ले ही रखी है,
मेरी अदाओ ने पहले ही उनकी
मेरी इस चुप्पी ने छीन रखा है,
करार उनकी रातो का.....
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फूल सी कोमल मैं, वो पत्थर सा कठोर है
मेरी बातें अनगिनत, उसको लगती शोर है
हम दोनों सिक्के के दो पहलू जैसे .....
पर क्या करे इस दिल पर चलता कहाँ किसका जोर है
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भरूँ आँखों में तुम्हे, या बहा दूँ,
तुम कहो तो, चुप्पी तोड़ आज सब बता दूँ।
दिख रहा है, पंछी आज़ाद उड़ता हुआ,
तुम कहो तो, बना नभ-पिंझड़ा उसे कैद बता दूं।
छप रहा फरेब , आज हर अख़बार में,
तुम कहो तो सच से पर्दा हटा दूँ।
आई है मौत, रक़ीब की मुझसे पता पूछने,
तुम कहो तो , उसके पलंग तक का रास्ता दिखा दूँ।
बैठी उदास ,बनी हो जो तुम 'बेरंग' सी,
कहो तो, माँग भर, सारी खुशियाँ तुम पर लुटा दूँ।-
खोज ला फिर ,तू कोई नया खज़ाना
नया तराना, कोई दोस्त पूराना....
पूरा कर दे बंदे,
छूटा हर एक अफसाना.....-
ये ज़िंदगी में मुसीबतों का रंग,
एक दिन कच्चा हो जाएगा .......
तू हौसला तो रख बंदे,
सब अच्छा हो जाएगा......-