मोहब्बत का मुझको सहारा मिला है,
डूबी हुई किश्ती को किनारा मिला है,
कोशिश बहुत कि समुंदर ने डूबोने की,
किनारे का जवाब उसको करारा मिला है !!-
बस इशारा कर दिया होता तो रुक जाते,
काली स्याह रात में उजाला भर जाते,
हर पल मिलने का वादा तो किया होता,
हर पल समुंदर में बहते फिर किनारा कर जाते !!-
रिश्तें गंवाए बहुत है,
अपनों ने सताए भी बहुत है,
एक भी मंजिल तक पहुंच ना सके,
पर सबने रास्ते बताए बहुत है !!-
कागज के नोट को कभी हल्का मत समझना,
किसी का ईमान गिराने के लिए बहुत भारी है !!-
इक पल के साथ पूरी रात, पीना आ गया,
मुझे हंसते हुए ज़ख्मों को, सीना आ गया,
अब तंग गलियां भी मुझे, तंग नहीं करती,
वक्त के साथ मुझे शर्तों पे, जीना आ गया !!-
वो मेरी मोहब्बत का इम्तेहान लेती रही
मैं इम्तेहान को मोहब्बत समझता रहा !!-
सोच बदलो, जीवन बदल जाएगा,
आगाज दो, संसार बदल जाएगा,
चादर से बाहर, कदमों को निकालो,
आसमान का कद भी, छोटा पड़ जाएगा !!-
कितना अच्छा होता अगर
ये किन्तु परन्तु,
अगर मगर,
आदि इत्यादि
पंक्तियों में ना होते, तो जीवन का सार,
या तो आर होता या पार होता !!-
मुझे जबसे अपना बनाया है उसने,
पास बुलाकर भी सताया है उसने,
कहते थे दिल की गहराई में उतर के देख,
पर रास्ता भी नहीं बताया है उसने !!-