साधु,स्वादु,में भेद पर,दीखत दोउ समान ।
एक राम में है रमा,दूजे की रस जान ।
साधु ने सब कुछ त्यागा ।
स्वादु है मित्र अभागा ।।
पाला, गर्मी, वृष्टि, में,करता श्रम घनघोर ।
कब सोता कब जागता,कब संध्या कब भोर ।।
फसल पर निर्भर जीवन ।
खेत उसके घर आँगन ।।
एक वस्तु का काव्य में,वर्णन जहाँ अनेक ।
शोभा करता दोगुनी,उत भूषण उल्लेख ।।
तरीका यह अपनाओ ।
काव्य को सभी सजाओ ।।
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