ये बात मेरी दिल की है दिल से समझना इसको सभी, क्योकि होशियार लोगों की होशियारी रास आती नहीं हमको. हम दिल के मुसाफ़िर है ये नफरत, मौकापरस्ती आती नहीं हमको...
बस सुनना है तुम्हें, समझना है, तुम्हारी अनकही बातों को, मानना है, तुम्हारी हर ज़िद्द को, करना है, वो हर काम जो तुम्हे ख़ुशी दे, निभाना है, हर रिश्ता तुमसे मुहब्बत का, सहना है, जैसे तुम सहती हो मुझे, सच में, मुझे कुछ भी नहीं कहना यकीन करो।। //नासमझ
कौन है वो जो राह दिखाये, भेद बताना बड़ा कठिन है, कौन है वो जो सच बतलाये। किसकी मानूँ, किसकी सुनूँ मैं, कौन मेरा अपना कहलाये, एक ही मैं हूँ, एक ही जीवन, कौन मुझे अब ये समझाए।
दिल में क्या है छोड़ बाकि सब देखते हैं, मेरे शहर में लोग चेहरे का रंग देखते हैं, मुरझा गई है देशभक्ति सभी के दिलों में, इस शहर में लोग देशभक्ति का ढंग देखते हैं।।
//नासमझ शायर
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