Anu Chhangani 13 OCT 2017 AT 8:11 "मोहब्बत मज़हब देख नहीं होती"कल तक रोमांचित करता था,आज भयभीत... - Anu Chhangani 5 OCT 2017 AT 13:43 मंदिर-मस्ज़िद फर्क न माना था मैनें,फैसलों पर , ख़ुद की खोखलापन्ती का नाच देख रही हूँ !! - Shrajal Gupta 30 APR 2020 AT 16:33 मैने दुनिया में अजीब दृश्य देखा है..दूसरों के प्यार को दफन करने वालों को,खुद के प्यार के लिए दुआ करते देखा है । - Amol Kesarwani 13 OCT 2017 AT 8:48 प्रेम को परिभाषित न करो यारों,जब कि हमारे हर लफ़्ज सिर्फ़उनकें सहारे से जीवित हैं। - sss_ekshayar 18 MAY 2018 AT 21:10 - sss_ekshayar 31 MAY 2018 AT 21:09 - Meheer Kashyap 13 OCT 2017 AT 9:27 ये कब सबाब देखती है,मज़हब इसका एक ही,ये खुशियाँ बेहिसाब देती है,बेहशियत ने मेरी ही,नूर-ए-मुहब्बत को भी,उन्मादी मज़हबी रंगों से,है दागदार किया, - manish kumar 7 DEC 2017 AT 22:54 I don't need the word "religion" to describe myself because it is just a small word which divides the society.... -