सुनाती थी जो कहानी नानी मेरी,
अब कहानी बन कर रह गई।-
तुम मेरी नानी हो!
बस फर्क इतना है कि,
वो लोरी सोने से पहले सुनाति थी
ओर तुम सोने के बाद।-
एक घर है मेरा टूटा सा
जहाँ रौनक थी पहले बडी
एक कमरा था जहाँ सोता थे
गिरते हँसते और रोते थे
एक नानी वाला कमरा था
एक पुरानी सी अलमारी थी
जहाँ नानी खाना बनाती थी
बडे शौक से हमे खिलाती थी
एक आँगन वाली सीढी थी
बैठे दिन वही गुजरता था
वो नीम वाली छाँव थी
उस घर मे इतनी रौनक थी
एक शिव जी का वहां मंदिर था
जहाँ नानी पूजा करती थी
वो घर ही इतना प्यारा था
क्योंकि वो नानू की निशानी थी
कमरा सोने वाला भी है पर नानू वहां नहीं रहते
वो खाने वाला भी कमरा है पर नानी मेरी नहीं रही
वो आँगन भी है सीढी भी है पर नानू नानी नहीं रहे-
वो बचपन की ठंडी भी अनमोल लगती थी ,
हर साल दादी - नानी की बुनी नई स्वेटर जो मिलती थी ।
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ननिहाल कि एक बात मुझे हमेशा से सबसे अच्छी लगती है...
ननिहाल मे लोगों से आप का परिचय आपके माँ के नाम के साथ कराते है-
मेरी नानी
सबसे प्यारी है
दुनिया की परेशानी भूल कर
उनहोंने हमारी झोली में खुशियाँ डाली है
इतनी प्यारी माँ दी है मेरी नानी ने मुझे
कि उनके इस कर्ज पर तो मैंने ये दुनिया हारी है
मेरी नानी सबसे प्यारी है-