Nisha Gupta   (निशा गुप्ता)
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Joined 21 May 2019


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Joined 21 May 2019
18 SEP 2022 AT 19:37

जब भी किसी से मिलती थी
मैं पूछती थी
आज से कई सालों बाद
हम कैसे मिल रहे होंगे?
वे मुस्कुराते थे
मैं उन्हें देखती थी
सोचती थी
वो पल तब निकल जाता था
दूर, बहुत दूर।
हम फिर मिले
कई सालों बाद
मैंने फिर पूछा
'वे' इस बार मुस्कुराए नहीं
उन्होंने बताया
हम सब थके मिलेंगे
जब कई सालों बाद मिलेंगे।

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15 APR 2022 AT 20:58

जाने से पहले एक बहाना छोड़े जाना
उस चाँद का मुख कहीं और मोड़े जाना

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8 FEB 2022 AT 22:31

किस शहर है घर तुम्हारा, मुझे क्या
एक घर तेरा मेरे दिल में, तुझे क्या

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27 JAN 2022 AT 10:47

मेरे चारों ओर घिरे हुए
इन लोगों से
तुम डरना मत
ये सारे हवाओं से हैं
जो वक्त रहते दिशा मोड़ लेंगे
तुम तो समुद्र से हो
जिसमें डूब कर
मैं हर रोज़ ठहरती हूँ।

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17 JAN 2022 AT 22:17

कुछ कहानियाँ
इतनी खूबसूरत होती है
जी चाहता है
एक साँस में पढ़ जाऊँ
और कुछ कहानियाँ
और भी खूबसूरत होती है
तब जी चाहता है
थोड़ा ही पढ़ूँ
और ज़्यादा इंतज़ार करूँ
अगले पन्ने का....,कल

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6 JAN 2022 AT 22:38

न तुम्हें कुछ लिखा
न तुम पर कुछ लिखा
उन डायरी के पन्नों में
तुम्हें हर रोज लिखा

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3 DEC 2021 AT 21:00

जो पीछे छूट गए, साथ उन्हें मिलाए कैसे
आज भी हम वहीं खड़े है,उन्हें बताए कैसे


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29 NOV 2021 AT 23:48

चुप्पी अब साथ रहती है मेरे
गुज़रते वक्त कुछ पूछना नहीं
बस कह देना
जो मैं कहना चाहती हूँ



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31 OCT 2021 AT 22:54

तितलियों का पीछा करते-करते
कभी
बहुत दूर चली जाती हूँ
इतनी दूर कि
कोई छूँ भी नहीं पाता

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15 AUG 2021 AT 23:29

बिखरे-बिखरे हो तुम अभी,
कभी सैलाब बन आओगे।
पार कर लो ये दरिया बस,
फ़िर मंज़िल पा जाओगे।

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