मैं लिखती हूँ और मिटा देती हूँ
बहुत कुछ है
जो मैं जाहिर नहीं करती
जताती भी नहीं, न बताती हूँ
मुस्कुराती हूँ और छिपा लेतीं हूँ
गम , खुशी, दर्द , सुकून
सब हद मैं रखतीं हूँ
बहुत कुछ है
जो मैं खुद को समझा लेतीं हूँ
मैं लिखती हूँ और मिटा देती हूँ ।-
कुछ ऐसे मिले हम....😍
मानो की मेरे शहर के सारे दरगाह के धागे कह रहे हों कि हा तुम्हारी दुआ कबूल हुई ।-
Hum kisi ko smjhte hai ...
Kisi ki feelings ko smjhte hai...
Or vo Hume pagal smjhte hai..
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याद है ना तुझे मेरे अश्कों से भीगी वो बरसात
मैं वो बरसात लिखना चाहती हूं ..
और हो सके तो फिर कभी दूरियां ना आए
मैं ऐसी मुलाकात लिखना चाहती हूं.!!-
Agar aisi majboori hoti hai...
To wo vade karte hi kyo hai...
Jise nibha na sake...
Wo bate karte hi kyo hai...-
दूरियों का अहसास तब हुआ
जब मैंने कहा ठीक हूँ
और उसने मान लिया ।-
Gumsum ho gye h mere alfaaz..
Lgta h kisi chahne wale ne inhe pdna chor diya....-
अजीब मोहब्बत है उसकी
मुझे अपना बना लिया
और वो किसी ओर का हो गया ।
जान थी मैं उसकी
पर भूल गयीं थीं कि mehkhaane मैं हर
कोई शराबी नहीं होता।
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ना मेने तेरे सुंदर चहेरे से महोब्बत की है
ना मेने तेरे मीठी बातों से महोब्बत की है
तेरा मेरा मिलना एक अहसास सा ही सही
पर मेने उस अधूरे अहसास से महोब्बत की है...!-
Mana ki bhut isqh tha mujhe....
Chal Is baar bhi kasurwaar nii thehraungi tujhe....-