वो पहली मुलाकात
काले कपडे, नादान आॅखें,
प्यारा सा दिल,बाकियों से अलग,
कातिलाना मुस्कुराहट,
चुंबक सा एहसास जिससे वो मुझे
अपनी ओर खिंच रहे थे।
उस दिन मैंने उनकी ऑखों मे
खुद को देखा था।
कुछ लम्हे के लिए लगा मानो मैंने उनहे
सदियों से जाना है।
फिर बोल कर शायरी
मैंने अपनी मौहब्बत का इजहार किया
वो इतने नादान थे
कि बोले एक और फरमाइए ।
आज फिर मैंने उनकी नादानियों को याद किया है
वो पहली मुलाकात को बया किया है।
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