Kamaal ka peer haii
ISHQ
Mureed karke chhorh
deta haiii..-
ये तो नहीं मालूम कि
मुरीद था तेरे अल्फ़ाज़ों का या अल्फ़ाज़ों के पीछे छिपे जज़्बातों का।
लेकिन यक़ीन था मुझे कि
मुरीद तो मैं तेरा ही हूँ।
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हम भी मुरीद हुआ करते थे ,वफादारी के किसी ज़माने में,,
मगर ये कमबख्त ज़माना ही हमें बेवफाई के पन्नो पर उतार लें आया ।-
Hum Toh Mureed Hi Theek Hai Sami
Suna Hai Aksar Log Murshid Ko Khuda Maan Lete Hai-
Sambhal Ke kiya Karo
Gairon Se humari Burai
Tumhare jo Azeez Hai
Woh humare Mureed hai-
मुरिद हुए तेरे अब बस मुराद बन कर रह गए
सच ही कहा चांद तुम्हें नजर से हटते नहीं करिब आते नहीं-
ہم بڑھا دیں جو ہاتھ بیعت کو
سارے مرشد___مرید ہو جائیں
Hum badha den jo haath bait ko!
Saare murshid mureed ho jaaen!-
ज़रा लोगो को देखकर किया करो बुराई हमारी...
तुम्हारे तमाम अपने मेरे ही मुरीद है...!!-
मुरीद बन तालियां बजाने लगे थे,
खिड़कियाँ और दरवाज़े भी।
जिस कमरे में सितमगर की गुफ़्तगू ,
मैंने संन्नाटों से की थीं।-
मेरा बचपना, और वो शरारत बस तेरी मीठी डांट का मुरीद था,
जो तू गया तबसे समझदारी आ गयी है।-