Ranesh Saraswat   (Ranesh)
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Joined 6 June 2017


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10 MAY 2020 AT 12:03

शर्त लगी थी दुनिया को एक शब्द में लिखने की वो किताबों में ढूँढते रह गए मैंने "माँ" लिख दिया

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12 FEB 2020 AT 23:17

ज़रा सा पुराना, ज़रा में नया हूँ
ज़रा सा बयां हूँ, ज़रा अनकहा हूँ
अगर तू जो देखे गौर से मुझको
मैं चेहरों की भीड़ में चेहरा नहीं हूँ

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4 JAN 2020 AT 8:40

#Chai 😊

Tea is just a word
Chai is an emotion ☕

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1 JAN 2020 AT 0:15

साल बदल रहा है साथ नहीं,
आपको और आपके परिवार को नए साल की हार्दिक शुभकामनायें, व्यस्त रहो मस्त रहो l

HAPPY NEW YEAR 2O2O 😊😊

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8 OCT 2019 AT 11:27

हज़ारों रावण निकले हैं
आज एक पुतला जलाने

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12 AUG 2019 AT 11:13

हर बार की तरह ज़ाया हो जाता है,
वो इतवार जो सहेज़ा जा सकता था

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4 AUG 2019 AT 16:43

गाँव की गलियां पूछ रही हैं, कहाँ रहे तुम इतने दिन
निम्मो की तो शादी हो गयी, हार गयी थी दिन गिन गिन…

बहुत देर तक रस्ता देखा, गाँव को खुद पे हँसता देखा
उसे यकीं था लौटोगे तुम, पर तुम हो गए शहर में ही गुम

टूट गयी फिर वो बेचारी, इंतज़ार में हारी हारी
खुद से खुद ही गयी वो छिन, गाँव की गलियां पूछ रही हैं

कहाँ रहे तुम इतने दिन…एक मोड़ से मिला था कल मैं
उसके पास रुका इक पल मैं, पूछा कैसे हो तुम भाई

कैसे इतने साल बिताई, मोड़ बुढा सा हुआ पड़ा था
लेकिन फिर भी वहीँ खड़ा था, मुझको वो पहचान न पाया

मैंने अपना नाम बताया, मोड़ ख़ुशी से झूम उठा तब
पढ़ा है तेरे बारे में सब, हो गए हो तुम बड़े आदमी

इन्सां हो या फल हो मौसमी, एक साल में एक ही फेरा
गाँव में भी इक घर है तेरा, निम्मो ये बोला करती थी

रोज़ ही जीती थी मरती थी, चली गयी वो अब तो लेकिन
मोड़ भी मुझसे पूछ रहा है, कहाँ रहे तुम इतने दिन…

निम्मो गाँव की सड़क थी कच्ची, जिसको मेरे बिन रोना ही था
इक दिन पक्का होना ही था, अच्छा हुआ की पक्की हो गयी

गाँव में चलो तरक्की हो गयी, हाँ पर मेरी निम्मो खो गयी…
@Irshad Kamil

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14 JUN 2019 AT 22:54

I changed the sound of my alarm clock to hand clapping sounds ,to get all the recognition i deserved, when i wake up at 5 am.

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5 JUN 2019 AT 7:57


इस खामोशी का कितना शोर है,
ये दिल ही है या दिल में कोई और है
ये जो भीगी बून्दे इन पलकों से बिछड़ी हैं,
तेरी बीती हुई यादों की सूनी गलियों से गुजरी हैं

ये मस्कुरहाट जो होठों में छुपाए हो तुम,
ये गम की कौन सी आफत उठाए हो तुम
खयालों की इस नर्म मुलायम चादर पर,
ये किसने बसेरा बनाया है शायद तुम ही हो ।

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12 MAY 2019 AT 11:48

जनम-जनम, हो तू ही मेरे पास, माँ
जनम-जनम, हो तू ही ज़मीं-आसमां

ये है खबर, दिल में कहीं रब रहता है, मगर
मेरे दिल में रहती, भोली-भाली मेरी माँ
मेरे दिल में रहती, भोली-भाली मेरी माँ

पगली, है दुनिया रब को मनाने
मंदिर-मज़ारों तक जाती है
घर में ही मेरे होता है तीरथ
मुझको नज़र जब माँ आती है
मुझको नज़र जब माँ आती है

जनम-जनम तू मेरी अरदास, माँ
जनम-जनम तू मेरा एहसास, माँ


Happy Mother's day ☺️

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