कोई हसीं खुद को "तवायफ" कहके, "मुजरा" करती है।
ये जिंदगी खुद एक "मुजरा" है, मेरी मशवरा कहती है।।-
वतन की मोहब्बत तिरंगे की चाहत रख सरहद पे आता है
वतन पर जिस्म का कतरा कतरा लूटा दे इस हद तक आता है
मां बहन बीबी न जाने कितने रिश्ते न्यौछावर हो जाते हैं
दुश्मन से लड़ते लड़ते कितने वीर चिरकाल नींद सो जाते हैं
कम है जितनी बार कहा जाए उन अमर कहानी को
सदियां बीत जाए कितनी भी पर न बात पुरानी हो
न्यौछावर कर गए जीवन हम एहसान कभी ना चुकां सकें
लानत है जो हमको गर्दन कटा गये हम उनको गर्दन भी ना झुका सकें
तुम बेफिक्र सोए हो निश्चित है सरहद पर कोई जाग रहा है
दुनिया आसमान छूने को है हिन्दुस्तान बचपन का प्यार मांग रहा है
मैं नहीं कहता गलत है सब या इसमें सबकी राजी है
खून कहां से खौलेगा अगली पीढ़ी मुजरे की आदि है
वीर सपूतों के जज्बों की युद्ध कहानी कौन सुनाता है
साल साल लग जाते हैं तब कोई नीरज खिल पाता है
राणा की धरती पर फिर रक्त सिंह का खौला है
राणा के भाले बाद फिर से कोई भाला बोला है
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Mujra-16
लबों को ख़ामोश रख कर निगाहों से बात करते हैं
ये इश्क़ वालों की शान है इसे इश्क़ वाले ही समझते हैं।
वफ़ा का सबक याद है मुझको ऐ दिलनाशिन
मेरी खता है जो तुम्हें दिल के पास रखते हैं।
हजारों दर्द हैं दफन सीने में हमारे
मगर हम हैं के लबों पे तबस्सुम आम रखते हैं।
जान,अरमान,इश्क़ ईमान कहें तो क्या रास तुमको
ऐसे भी लोग हैं जो हर लम्हा खंजर ज़बान रखते हैं।
है दर्द की दास्तां इतनी, करीब हम उनके
और वोह हैं के दिल में रांजिशों का तूफ़ान रखते हैं।-
Mujra-18
Gali me Kal unse mulaqat
hogayee,Nigahen chand
tak ti rahin aur isharon
hi isharon me baat hogayee,
Huaa asar unki deed ka
dil iztqrab sa hogaya,
nazar kiya mili dil khawab
sa hogaya,
Parda to tha haya ka
mujhpe sahab,Magar ye
ishq ka waar sa hogaya,
Nazar pher te hi pher te,
dil me mere ,Ek maqam
sa hogaya.
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Mujra-17
निकल जाएगी जब शम्मा इस बज़्म से
तो दीदार को तरसोगे,
करोगे याद अपनी हिमाकत को एक दिन
तुम मुझसे बात को तरसोगे,
है खता मेरी तुम्हें चाहना ऐ दिलनशीन
दिल कहता है एक रोज़ इंतज़ार को तरसोगे,
करते हो जो ये ज़ुल्म ओ सितम
खुदरा एक बार मेरे प्यार को तरसोगे,
आती है हमें भी बहुत अदाएं इश्क़ की
तुम एक बार मेरे इस अंदाज़ को तरसोगे,
के माजरत कर ली बहुत हमने मगर
अब ज़िद है के मेरे एक एक लफ्ज़
के निसार को तरसोगे।-
Mujra-15
Tutne lagi hain ab sanse meri
Ke ab tum paas ajaoo
Muddat se machalte hain arman
Ab tum mujhe sine se laga jaoo
Hai aakhri deedar shayad
Ho sake na mulakat ab
Kahin se bas ai Dilnasheen
tum aajaoo
Kiyon khafa ho zara si baat pe
Shiddat se zakhm hai
inpe marham tum
Laga jaoo,
Hai khata meri tumse ummiden
wabasta hain,tum na khuda ho
Kashti paar laga jaoo...-
सुनो,जिंदगी से बड़ी कोई कोरियोग्राफर नहीं है
ऐसा मुजरा करवाती है दुश्मन फूले नहीं समाते
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Aao tumhe is mushaire me kalam aur kagaaz ki aashiqui ke kisse sunate hain..
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सभी बंधुओं से निवेदन है
कि वह बाजार से 199 या
201₹ की ही मिठाई ले 200
वाली मिठाई कोई नहीं लेगा
😅😅😅-