Akanksha Singh  
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Amateur writer
Joined 28 March 2020


Amateur writer
Joined 28 March 2020
4 APR AT 23:39

क्यूँकि ये कोई दरिया नहीं,
जिसमें तुम्हें आजाये तैराना,
बल्कि है अश्कों का ज़रिया वही,
जिसमें तुम्हें अंतः है डूबना।

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1 APR AT 23:52

सहसा तुझे सोचकर यूहीं जो मैं मुस्कुराती हूँ,
लगता है तुझे भी मैं मुसलसल याद आती हूँ।

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31 MAR AT 14:04

The purple sky,
At the onset of dusk,
Catches my eye,
With a lustre of musk…..

The purple sky,
At the onset of dawn,
Watches the birds fly,
To the merciful hawn……

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30 MAR AT 10:54

लेखक हूँ मैं, आशिक़ नहीं,
ये घड़ियाँ मेरी नहीं, वक्त गुजरा नहीं।

लेखक हूँ मैं, आशिक़ नहीं,
ये जज़्बात मेरे नहीं, जुबानी मेरी सही।

लेखक हूँ मैं, आशिक़ नहीं,
ये क़िस्सा किसी और का, कहानी मेरी नहीं।

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30 MAR AT 10:36

वो कहते थे की “हम तुम्हारे अपने हैं”,
मगर कुछ यूँ बिछड़े की मानो कोई सपना हो।

वो कहते थे की “तू हमारा खुदा है”,
भला कोई अपने ईश्वर से भी होता जुदा है?

वो कहते थे की “तू हमारा रक़ीब है”,
मगर हमें क्या ख़बर थी, बिगड़ा हमारा नसीब है।

वो कहते थे की “तू मेरा जग- संसार है”,
मगर आज “ये क्या हुआ?”, बस यही एक विचार है।

वो कहते थे की “ये मेरा कहना है…..”,
आज उसी कथनी और करनी का अंतर हमें सहना है।

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29 MAR AT 14:44



the ticking clock,



start,

clicking memories to stock…….

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29 MAR AT 11:03

With you by my side,
Yearning for your company afar,
From the world we hide…

To sit under the stars,
With our fingers intertwined,
Doors to this ecstasy ajar,
I dream of you to be eternally ‘mine’…..

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28 MAR AT 19:20

की तेरी यादों से निकलें,
हम तो वही ठहरे हैं,
जहाँ तेरी राहों से बिछड़े।

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28 MAR AT 18:57

my heart was a masterpiece of peace,
After meeting you, it has turned into a beautiful mess of shattered piece….

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23 MAR AT 23:54

, हम कभी मिले ही ना होते,
ना तेरे मिलने की ख़ुशी होती, ना ये गम के सिलसिले होते,
ना मोहब्बत के बीज उगते, ना नफ़रत के फूल खिले होते,
ना दिल यूँ उदास होता, ना ये लब सिले होते,
ना आँखें यूँ नम होती, ना हम दिलजले होते।

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