एक खालीपन है जो शायद मौत भरेगी
किसी दिन ये ज़िंदगी मेरे हाथों बेमौत मरेगी
ग़म चले तब तक ही चलाना साँस मेरी
ऐ किस्मत मेरा ये छोटा सा काम करेगी-
हम तो बेहिसाब हैं हमारा हिसाब मत रखिए
~©हरीश गौड़
Likhna sh... read more
खुशियों की छाई रहे बहार, जन्मदिन मुबारक
अपनों का बना रहे प्यार, जन्मदिन मुबारक
खरे उतरो आप, ज़िंदगी के हर इम्तेहान में
कलम की बढ़ती रहे धार, जन्मदिन मुबारक
बुलंदी पर बैठ कर भी कितना सादा रहते हो
कमाल के इंसान हो यार, जन्मदिन मुबारक
सोच रहा था, क्या तोहफ़ा दूँ इस मौके पर
दुआएं भेज रहा हूँ सरकार, जन्मदिन मुबारक-
मुलाक़ात की गुंजाइश होती, बारिश होती
मेरी बस येही फरमाइश होती, बारिश होती
जो मैं बादल होता तेरे शहर पे छाया रहता
तेरी जब जब ख्वाहिश होती, बारिश होती-
मेरे जीवन में सब
सूना सूना था फिर
मेरी अँगुली में तूने
अँगूठी पहना दी..!!-
तुमने कहाँ अब तक दर्द हमारे देखे हैं
रात रात भर बैठ के हमने तारे देखे हैं
रिश्ते मोहब्ब्त दोस्त दुश्मन सबने लूटा
आजमा कर हमने सारे के सारे देखे हैं-
मोहब्ब्त की तलाश ऐसे भी की जा सकती है
उसकी खुशी मेरी आँखों मे देखी जा सकती है
उसके कमाल जमाल का क्या ही ज़िक्र करूँ मैं
वो हुस्न देख कर तो आँखें सेकी जा सकती है-
एक बात है
जो सुनी नहीं गई
एक कविता है
जो लिखी नहीं गई
अंदर से खाए
जा रही है एक ग़ज़ल
मुझसे अब तक
जो कही नहीं गई-
कर्मों की बाती ही किस्मत का दिया जलाती है
तू बेवजह फ़िक्र करके अपना जिया जलाती है
दिन तो गुज़र जाता है कुछ दोस्तों के सहारे
मुझे तो ये बैरन बिरहा की रतिया जलाती है
आँखों में आके तेज़ाब बन जाती है तेरी यादें
और फिर अश्कों की बून्दें मेरा तकिया जलाती है-
मेरी नज़र से मेरी मुश्किलों का शहर देख
बहुत भागता रहता है तू, ज़रा ठहर, देख
आईने ने ये बोल कर मुझे हैरान कर दिया
आँखों में है किसी की याद का ज़हर, देख
मुद्दतों बाद मिला है मुझे सुकूं-ए-आग़ोश
ना रात देख ना दिन देख ना दोपहर देख
मैं मोहब्ब्त पसन्द हूँ ख़याल सुन के खो गया
तू शाइर है रदीफ़ देख क़ाफ़िया देख बहर देख-