तुम आई तो खुद से मिले है ,
यू लग रहा हैं रेगिस्तान भी समंदर बन गई है ,
थी तलाश जिन लकीरों की बचपन से ,
की ना जाने किसने मेरे हक में दुआ मांग ली...!!!-
तुम्हारे दीदार की साजा क्या खूब पाई हमने ,
अब तुम्हारे दिल में उम्र कैद की साजा काट रहे हैं ,
ना आरजू - ए - रिहाई की , बस मेरी हर अज़ान का मुहैय्या तुम्हरा दीदार हो...!!!
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इस खुले आसमा में तुम्हारी जुल्फों का घना बादल हो जिसमें मेरे प्यार का चमकता चेहरा हो ,
तुम अना कोई शाम लेके अपने साथ फिर गुजरेंगे तुम्हारी वो ख्वाहिशों वाली शाम जिसमें दो जिस्म एक सांसें होंगी होठों से ,
करेंगे हम वो सारी बाते आंखों से अपनी जिज्मो को आज़ाद कर एक दूसरों कि बाहों में ,
की काश यूं ही बीते हर शाम जिसमें आंखों से हो बाते और सीने से लग कर सीने एक दूजे की धड़कनों को जो बरसों से हम सोचते थे...!!!-
I would not forget that eyes of Yours which once was filled with Love for me
And now with the regret of loving me-
ताल्लुक , रखने की वजह ढूंढ़ने वाले ।
काश ! अपनी वजह पे गौर फरमाते ।
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क्योंकि , वजह वजह की बात है ।
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की मेरी उंगली थाम लेना जरा आज कल नशे में कदम लड़खड़ाने लगे हैं ,
की अब ये नशा तुम्हारी बातों का हैं या फिर तुम्हारी झुमकों की खनक का...!!!-
की काश जब-जब मैं बन्धन में बन्धु, वो बन्धन बस तुम और तुम्हारे नाम का हो...!!
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मुझे आसमा नही तुम्हारी जुल्फों का साया चाहिए ,
सर को मेरे तकिया नही तुम्हारी गोद चाहिए ,
और जब रुशवा हो रही हो मेरी सांसें मेरी जिस्म से तो मुझे गंगा जल नही तुम्हारी होठों पे मुस्कान चाहिए...!!!-
Haye Re Meri Motto...
Oye Sun,
तू कभी,
पतली मत होना,
तू तो ऐसी ही,
बहुत ज्यादा,
प्यारी लगती है..!!!!-