किताबों में जो पढ़ा था जो सुना था एक रानी की कहानी तुम मुझे वही लगती हो,
तुम्हारे नाक बाल होठ कमर वो गालों के पास का काला तिल हाँ तुम बिल्कुल वही लगती हो,
तितली सी चंचल तितली सी उड़ान भर मेरी दिल पर बैठ जाती तितली सी इठराती हो हाँ तुम बिल्कुल वही किताबों वाली रानी लगती हो,
खामोश रह कर मेरी बातों संग खेलती हो,
मेरी हर बात को दिल से लगा बिल्कुल कोयल के जैसी झगड़ती हो हाँ तुम बिल्कुल वही किताबों वाली रानी लगती हो,
उड़ती आसमान में हो अपने खवाबों को लेकर लेकिन अपनी रखती हर निगाह हो मुझे पर बाज़ जैसी, तुम ऐसे में भी कितना ख्याल रखती हो मेरा, हाँ तुम बिल्कुल वही किताबों वाली रानी हो,
चिपकी रहती हो मधुमक्खी सी ख़ुश्बू लिए हज़ारों फूल की मुझ पर बिखेरने को, छोड़ती नहीं हो लड़ जाती हो उनसे जो भी छूते हैं मुझको, हाँ तुम बिल्कुल किताबों वाली रानी हो…!!!-
समंदर सी खामोश वो कई ज़ख़्म लिए
मैं कोई किनारा सा खड़ा आँसू पोछने को उसके…!!!-
इस दिल की बोली लग चुकी हैं सालों पहले,
खरीदा हैं किसी ने इसको ऊँचे दामों में
कि अब कोशिश करने वाले नाकाम हो जाते हैं,
की ख़रीदार ने मर्यादाओं की दीवाल बंध रखी हैं…!!!-
तू मेरी सरकारी नौकरी जैसी हैं,
ये जवानी तेरी ढल्ल जाएगी फिर भी इसका नशा पेंशन के तरह लेता रहूँगा जब तक ज़िंदा रहूँगा…!!!-
मैं इश्क़ लिखू और तेरी ख़ुश्बू ना बिखरे,
भला ऐसा भी हुआ हैं फूल खिले और बगीचा ना महके…!!!-
हैं अगर इश्क़ तुझे तो एतबार रख,
तेरे इश्क़ में तेरे लिए कृष्ण और राम क्या शंकर भी बन जाऊँगा…!!!-
मुझे अपना काटा ही समझ कर अपना लेना
की अगर तुम सच में कोई खिलता गुलाब हो तो…!!!-
शिव सा खोया हैं मैंने सब कुछ,
शायद वर्षो लगे मुझे लौटने में,
हो सके तो तुम पार्वती सा मेरा इंतज़ार करना…!!!-
तू भी तो कभी आसमान में तारा रहा होगा,
वरना यूही कोइ तेरे लिए थोड़ी टूट जाता हैं…!!!-