सपनें बड़े हो या छोटे
मेहनत बराबर है-
जिसका ख़्याल हर पल रहता है
दूर जरूर हो जाता है
फिर भी किसी ना किसी तरहा
जुड़ा हुआ रहता है-
बेदाग़ चेहरों के साथ दामन में दाग़ लिए फिरते हैं
तेरे शहर के लोग दिल मे भी दिमाग लिए फिरते हैं-
मत सोच तू कि तेरे जैसा ढूंढ रहा हूँ
मैं हर किसी मे अपना लहजा ढूंढ रहा हूँ
कटती नहीं है फिर भी हिज्र काट रहा हूँ
गम में न जाने कैसा मज़ा ढूंढ रहा हूँ
तोड़ें है दिल हमने कई अपनी ही मौज में
अपने लिए भी कोई सजा ढूंढ रहा हूँ
मरने के बाद देखेंगे , कैसे ये नजारे
सो जिंदगी में अपनी कज़ा ढूंढ रहा हूँ
हाय रे अज़ीम भरी नादानी ये मेरी
मैं शहर-ए-बुत में आके वफ़ा ढूंढ रहा हूँ
क्या है इक़्तिज़ा मुझे या इक़रार है कोई
काफ़िर के दिल मे क्यूँ मैं खुदा ढूंढ रहा हूँ
-Heart to Heart
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ठेठ मेवाड़ी है हम,
कभी झीलों की नगरी आ,
घड़ी दो घड़ी साथ बैठ,
यू ना अपने विचार बना
फतेहसागर किनारे हाथ पकड़कर,
चल दे थोड़ी दूर
और मुझे थड़ी की चाय पिला
हम दिमाग मे भी ,
छोटे छोटे दिल रखते है,
तू ये उसी पल जान जायेगा,
और अपना आवारा दिल,
यही छोड़ जाएगा
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Ishq lamaba safer hai,
Kuch aalfaz bache rahne do.
Kuch tum khaho
Kuch lafz hame bhi khane do....-
मरने वाला हूँ मैं अपने ही अफसाने में
तवक्कुफ़ न कर जरा भी अब तू आने में
वस्ल की घड़ी में कभी बेवक्त आयी तुम
देर तो जरा भी नहीं करती तुम जाने में
पल भर में तोड़ गयी उस रिश्ते को तुम
एक उम्र लगाई थी मैंने जिसे बनाने में
कब वक्त मिला तू बता बाहों में भरने का
आधा बिता रूठने मेंआधा गया मनाने में
जाने किस तरह तुमने कदम बढ़ा लिए
हमे तो उम्र छोटी पड़ रही भुलाने में
खाक बन गया तो कहती हो प्यार है तुम्हें
बहुत देर कर दी तुमने ये बात बताने में
-Heart to Heart
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यूँ तो हमने उसे कुछ देर जी भर देखा
मगर करके अपनी दीदा -ए- तर देखा
वास्ता ही नहीं है आंखों की थकन से
शब भर जाग के सुब्ह का मेहर देखा
दामन छूड़ा के जब तुम जा रहे थे जाँ
तेरी आँखों मे इक़ शोख़ सितमगर देखा
हिना देखके हथेलियों पे गैर के नाम की
हमने पहली तुझे खो देने का डर देखा
हर इक कहानी में तबाही ही लिखी है
फिर भी इश्क़ वालो को बेखबर देखा
निकलने के बाद तेरे तसव्वुर से मैं
तस्वीर को भरी आँख से रात भर देखा
-Heart to Heart
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दिल सुकूँ से रहता है इक़ सुने दयार में
फिर क्यूँ जाए लौट के कु- ए -यार में
दिल जान जिगर भी हार करके इश्क़ में
आ न सके हम कभी निगह-ए-यार में
ख्यालों के ख्याल में भी जब तू बसी है
आएगा कैसे कोई दिल-ए-दागदार में
तंग हो गए हैं शब-ए-हिज्रां से इस कदर
मारते है सर अपना दर-ओ-दीवार में
खरीद के ले आते मर्ज-ए-इश्क़ की दवा
मिलती जो दवा कोई इसकी बाजार में
मिलता गया जितना शिद्दत से ले लिए
अब हो रहा खसारा गम के कारोबार में
-Heart to Heart
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ऐसे भी टूट के न कोई बिखरा होगा
सोचते है अब आगे हमारा क्या होगा
दर्द बढ़ रहा पर एक लज्जत है इसमें
मर ही जायेंगे न ! इससे ज्यादा क्या होगा
मेरे दिल मे जो है वहीँ जुबां पर भी है
इससे बेहतर भला कोई आईना क्या होगा
इश्क़ की आँधी ने उजाड़ दिए जो घर
वहाँ बिखरी यादों के सिवा बचा क्या होगा
हम आज तक सोचते है उस अधूरे खत में
उसने लिक्खा होगा तो क्या लिक्खा होगा
रुशवा हुए जहाँ जा रहे उसी गली हर बार
हाल अपना इससे जियादा बुरा क्या होगा
बस इसी बात का गुरुर है कि मौत आनी है
उस रोज ये जिस्म ये शौहरत सब धुआँ होगा
-Heart to Heart
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