माँ ज़मीं है, सबकी अपनी मिलकियत है।
मेहबूब चाँद सा उसकी अलग तबियत है।-
डूब कर जिसमें...
मैं फिर ना निकला...
महबूब मेरा ऐसा...
गहरा समंदर निकला...-
ज़र्द पंखुड़िया बतला रही है,
कोई कहर इनपे बेशुमार बरपा होगा,
सींचते इन गुलों को यकीनन,
रूख से मेहबूब के मेरे नक़ाब सरका होगा।
•ılılı•ღ मनीष ღ•ılılı• ٠-
Shri radhepyare ✍️...
मोहब्बत में, महबूब के दूर
जाने पर पता पड़ता है !
❣️
कि मोहब्बत पाली हुई थी
या खरीदी हुई !!-
Teri mehfil se uthe the to kisi ko khabar na thi, sanam!
Bs tera mud mud ke dekhna mujhe badnaam kr gya..-
दिल पर इश्क की दस्तक देख...
हम मन ही मन हर्षाए थे...
हमको क्या पता था कि...
मेरे मेहबूब लुटेरे बन कर आएँगें...-
ना छत पर है कभी आता...
ना घर से ही निकलता है...
मेरा महबूब, जैसे चांँद सा...
घटाओं में अब छिपता है...-
मोहब्बत समझती है...
सारी दुनिया जिसे...
असल में वो दर्दों कि...
एक सुनहरी हथकड़ी है...
आशिकी में महबूब की...
खैरियत से किसे क्या करना...
आशिकों को तो केवल...
अब सिर्फ अपनी पड़ी है...
सिर्फ अपनी पड़ी है...-